नारी: जीवन और समाज में उसकी भूमिका — अनीता चतुर्वेदी

मैं भी एक नारी हूं, और नारी जीवन को एक नारी से बेहतर और कौन समझ सकता है?
आज मैं आप सबके समक्ष नारी जीवन का एक संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत कर रही हूं।
मेरा यह लेख समाज के सभी वर्गों की महिलाओं को समर्पित है।
कहा जाता है कि स्त्री इस प्रकृति की सबसे अनमोल रचना है। वह सृष्टि की आधारशिला है। वह केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि ममता, करुणा, त्याग और संघर्ष की प्रतीक है। समाज में उसकी स्थिति सदियों से बदलती रही है—कभी उसे देवी की तरह पूजा गया, तो कभी उसे अधिकारों से वंचित कर दिया गया। लेकिन हर परिस्थिति में उसने अपनी शक्ति और धैर्य से खुद को साबित किया है।
प्राचीन काल से लेकर आज तक महिलाओं को सामाजिक, आर्थिक और पारिवारिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। शिक्षा से वंचित करना, पर्दा प्रथा, बाल विवाह, दहेज प्रथा जैसी कुप्रथाएँ महिलाओं की स्वतंत्रता में बाधक रही हैं। लेकिन समय के साथ उन्होंने अपने हक की लड़ाई लड़ी और अपनी जगह बनाई।
आज महिलाएँ हर क्षेत्र में अग्रसर हैं—राजनीति, विज्ञान, शिक्षा, खेल, सेना और व्यापार में उन्होंने अपनी पहचान बनाई है। लेकिन अब भी उनके लिए समाज में चुनौतियाँ कम नहीं हुई हैं। लैंगिक भेदभाव, घरेलू हिंसा, कार्यस्थल पर असमानता जैसी समस्याएँ अब भी बनी हुई हैं। फिर भी, महिलाओं ने अपनी कड़ी मेहनत और आत्मविश्वास से यह साबित किया है कि वे हर स्थिति का सामना करने में सक्षम हैं।
यही कारण है कि आज समाज में महिलाओं की स्थिति धीरे-धीरे सुधर रही है, लेकिन उन्हें अभी भी पूर्ण समानता का अधिकार नहीं मिला है। शिक्षा और रोजगार में उन्होंने खुद को साबित किया है, फिर भी सामाजिक मानसिकता में बदलाव की आवश्यकता है। उन्हें समान अवसर देने, उनके फैसलों का सम्मान करने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
यदि कोई समाज वास्तव में उन्नति करना चाहता है, तो उसे महिलाओं का सम्मान करना होगा। नारी केवल सहनशीलता और प्रेम का प्रतीक नहीं है, बल्कि शक्ति, आत्मनिर्भरता और नेतृत्व की मिसाल भी है। हमें चाहिए कि हम महिलाओं को केवल पारंपरिक दायित्वों तक सीमित न रखें, बल्कि उन्हें उनके सपनों को पूरा करने का अवसर भी प्रदान करें।
क्या आप नारी के बिना इस दुनिया की कल्पना भी कर सकते हैं?
नहीं न? नारी त्याग की मिसाल है।
माँ, बहन, बेटी, पत्नी—हर रिश्ते में वह निस्वार्थ प्रेम और समर्पण को दर्शाती है। एक माँ अपने बच्चों के लिए अपना सर्वस्व अर्पित कर देती है, एक बहन अपने भाई की रक्षा के लिए हर बाधा से लड़ने को तैयार रहती है, एक बेटी अपने माता-पिता की खुशी के लिए अपने सपनों तक को कुर्बान कर देती है, और एक पत्नी हर सुख-दुःख में अपने पति का साथ निभाती है।
हे नारी, तुम केवल संवेदनशीलता की मूर्ति ही नहीं, बल्कि शक्ति, धैर्य और संघर्ष की मिसाल भी हो। समाज को तुम्हारे योगदान को पहचानने और तुम्हें समान अधिकार देने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। जब एक नारी सशक्त होती है, तो पूरा समाज सशक्त होता है। इसलिए, हमें महिलाओं को केवल सम्मान ही नहीं, बल्कि समान अवसर और स्वतंत्रता भी देनी चाहिए, ताकि वे अपने जीवन को अपने अनुसार जी सकें और समाज के विकास में अपना योगदान दे सकें।
अनीता चतुर्वेदी