प्रेम – संस्मरण — कविता साव

प्रेम ,ओए हेलो जी,
मुक्ति, जी अपने मुझसे कुछ कहा?
प्रेम, जी हाँ,आपसे ही कहा।
मुक्ति,कहिए क्या बात है?
प्रेम,मैं अक्सर आपको रोज देखता हूँ,कभी इधर तो कभी उधर। एक बात पूछूं? अगर बुरा ना मानें तो।
मुक्ति,जी पूछिए ,इसमें बुरा मानने वाली कौन सी बात है? वैसे मैं बता दूं कि मैं जॉब के लिए इधर उधर भागती फिरती हूं।
प्रेम,फिर तो समझिए आपको जॉब मिल गई,आप कल से मेरा ऑफिस ज्वाइन कीजिए मैनेजिंग डायरेक्टर के पोस्ट पर।
मुक्ति,आपके ऑफिस में मैनेजिंग डायरेक्टर नहीं हैं।और इस मेहरबानी का कारण बता सकते हैं।जॉब के लिए लोगों के तलवे घिस जाते हैं,और मुझे इतना बड़ा ऑफर,क्या बात है?
प्रेम,वैसे तो मेरे ऑफिस में कोई पद खाली नहीं फिर भी मुझे आपके जैसा एक्टिव सदस्य चाहिए,जो विश्वासी भी हो और मेरा अनुभव यही कहता है कि आप इस पद के लिए सटीक हो।
मेरे यहाँ जो भी वर्कर मैनेजर या डायरेक्टर जो भी हैं सबके सब चापलूश हैं,मेरे सामने काम करते हैं और फिर गायब ।
मुक्ति ,फिर तो आपकी उनसे बात करनी चाहिए।
प्रेम,कोई फायदा नहीं, यहाँ कोई किसी के बंधन में नहीं,सभी स्वतंत्र हैं।इसलिए प्लीज कल से आप ज्वाइन कर लीजिए।
मुक्ति,मन ही मन सोचती है,प्रेम के बारें में, उसका वो मासूम चेहरा उसके दिल में ना जाने कितने सवाल पैदा करता है।सोचती है,ना जाने क्या सोचकर प्रेम ने मुझे ये पोस्ट ऑफर किया,शायद उसे मेरी एक्टिविटी पसंद हो,पता नहीं क्या उम्मीद है उसकी मुझसे।पर मैं क्यों इतना सोच रही हूँ,जो भी हो मुझे उससे क्या लेना देना?
दूसरे दिन फिर प्रेम मुक्ति को रोकता है और कहता है देखिए मैंने आपके नाम का तख्ती भी लगा दिया है,कृपया अब तो जुड़ जाइए और अपनी पदवी को संभालिए।
मुक्ति,कृपया पहले आप मुझे ऑफिस की कुछ जानकारी तो दीजिए।
प्रेम,बेझिझक ऑफिस की जानकारी मुक्ति को देता है।
मुक्ति के हाथ में ज्वाइनिंग लेटर देते हुए कहता है आज से ये ऑफिस आपका।
मुक्ति ,क्या बात है आपने लेटर पहले से तैयार कर लिया था शायद। जी मै प्रेम हूँ बिल्कुल आपके जैसा ही एक्टिव रहता हूँ।
मुक्ति, थैंक यू सो मच सर।
प्रेम,वेलकम डियर
मुक्ति,क्या कहा आपने?
प्रेम,जी मैंने कहा स्वागत है आपका।आइए आज रात आठ बजे एक पार्टी करते हैं आपके लिए।
मुक्ति,अहोभाग्य सर।
प्रेम,अहो भाग्य तो मेरा है।
रात आठ बजे से करीबन दस बजे तक बड़ी शानदार पार्टी होती है, और फिर सभी अपने अपने घर लौट जाते हैं।
तीसरे दिन,प्रेम मुक्ति से पूछता है
मुक्ति जी कल की पार्टी कैसी रही?
मुक्ति,बहुत शानदार पार्टी थी सर।
प्रेम,एक बात कहूँ आपसे अगर बुरा ना माने तो।
मुक्ति ,जी सर
प्रेम,आप मुझे सर मत कहिए।
मुक्ति,तो फिर क्या कहूँ आप ही बता दीजिए।
प्रेम,जो आपका दिल चाहे।
मुक्ति,ऐसे कैसे मै मालिक को कुछ भी कहकर बुला सकती हूँ।
प्रेम,जी मै कोई मालिक वालीक नहीं हूँ,आज से ये पूरी ऑफिस आपका है ,अब आप ही इसे संभालिए,मुझे पूरा भरोसा है आप पर।
मुक्ति,जी सर , मैं आपका भरोसा टूटने नहीं दूंगी,पर और भी तो लोग हैं यहाँ,वो क्या सोचेंगे?
प्रेम,मैं कुछ नहीं जानता ,मैं सिर्फ आपको जानता हूँ,मुझे आप पर पूरा भरोसा है।
मुक्ति,ऐसे तो मैं ईर्ष्या का कारण बन जाऊंगी।
प्रेम, वो सब मैं देख लूंगा।
मुक्ति,थैंक यू सो मच सर,
चौथा दिन,
मुक्ति ,गुड मॉर्निंग सर,
प्रेम,फिर से आपने सर कहा,ये ठीक नहीं लगता।
मुक्ति,तो और….
प्रेम,मुझे अपना मित्र समझिए।
पता है आपको,आपसे बात करके मुझे बहुत अच्छा लगता है,मन करता है घंटों बातें करता रहूँ,और आपको……
मुक्ति, जिसका मित्र आपके जैसा दिलदार हो जो हर गम को खुशी में बदल दे उसे भला किस बात का गम।आपकी बातें सुनकर मुझे बहुत हंसी आती है।वो कटहल की रेसिपी वाली बात,वो माइक के ऊपर चढ़ने वाली बात,वो मेरा वजन बताने वाली बात,जब भी सोचती हूँ तो अजीब सी मुस्कुराहट होठों पर बिखर जाती है।
प्रेम,चलिए मै आपको हंसाने के काम तो आया।अच्छा आप अपनी मन पसंद चार शब्द बताइए।
मुक्ति,मुझे नहीं पता ,अब मुझे घर जाना चाहिए।बाय
प्रेम, ओय मेरी सोन चिरैया , बाय कभी मत कहना,ऐसा लगता है जैसे मेरा कोई अपना मुझे छिड़कर हमेशा के लिए जा रहा है ।
मुक्ति, ओके खडूस,अब कभी नहीं कहूंगी।शुभ रात्रि।
प्रेम ,शुभ प्रभात सोन चिरैया,जो भी आपके मन में है कह दीजिए ,रिश्ते बरकरार रहेंगे।
मुक्ति,शुभ प्रभात खडूस,मेरे मन में कोई बात नहीं,अब चलें कुछ काम कर लें।
प्रेम,आज का प्रोजेक्ट क्या होगा? कुछ बताइए मोहतरमा।
मुक्ति,पहले बूढ़े बरगद के नीचे बैठ कर चाय की चुस्की लेंगे,तो हमारा मन मयूरा नृत्य करेगा,उसके बाद मित्रता गाढ़ी होगी फिर सत्तू सान कर चटनी के साथ खायेंगे ,जल पीकर त्रास मिटाएंगे, फिर प्रोजेक्ट तैयार हो जाएगा।
प्रेम,वाह! क्या बात है,आपके शब्दों में जादू है।कहीं आप जादूगरनी तो नहीं ,तभी मैं सोचूं क्यों आपकी बातें सुनकर भावनाओं में बह जाता हूँ।
मुक्ति, ओए खड़ूस मैंने जितने भी शब्द कहे सब प्रोजेक्ट का नाम था,भावनाओं के सागर में बहने की जरूरत नहीं,क्योंकि मुझे तैरना नहीं आता जो आपको बचा लूंगी।
प्रेम, यहाँ बचना कौन चाहता है।आई लव यू।
किसी कारणवश,कुछ दिन दोनों की बातचीत नहीं होती।फिर अचानक एक दिन प्रेम कहता है ,
आप अब तक सोई नहीं,इतनी रात तक जगना ठीक नहीं।
मुक्ति,जी ऑफिस का कुछ काम पेंडिंग था वहीं कर रही थी। ओके शुभ रात्रि। ओए अभी मत सोना मेरी सोना।मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।
मुक्ति,जी कहिए।
आप शादी शुदा हो।
मुक्ति, नहीं
प्रेम,मन नहीं लगता मेरा आपके बिना,बहुत कोशिश करता हूँ आपको याद ना करूं लेकिन अजब दी बेचैनी रहती है।मेरा मन विचलित होने लगा है।
मुक्ति,ऐसी बाते नहीं करते,आप एक जिम्मेदार इंसान हो ,आपके ऊपर बहुत सी जिम्मेदारियां है।
प्रेम,तो क्या करूं? भूल जाऊं
आपको।
मुक्ति,ऐसा मैने कब कहा? हम मित्र हैं केवल मित्र। आई लव यू का अर्थ ये नहीं कि हम रिलेशनशिप में रहें।ये गलत बात है।
प्रेम ,ठीक है,जैसी आपकी इच्छा।शुभ रात्रि
मुक्ति,शुभ रात्रि।
प्रेम का अर्थ पता नहीं क्या समझ लेते हैं लोग। खासकर जब एक स्त्री और पुरुष की मित्रता हो। मित्र तो वो संजीवनी है जो मित्र के सारी पीड़ा को मिटा दे,उसका संबल बने, ना कि मनोबल को तोड़ मरोड़ के रख दे।
कविता साव
पश्चिम बंगाल