पर्यावरण मित्र (गौरा देवी )- बिमला रावत

उत्तराखंड की प्रसिध्द महिलाओं में ‘ चिपको आन्दोलन ‘ की प्रणेता गौरा देवी जी का जीवन जंगलों के संरक्षण और सम्वर्धन के लिये समर्पित रहा । इनका जन्म 1925 में गढ़वाल मंडल के जिला चमोली के लाता गाँव में श्री नारायण सिंह जी के घर पर हुआ । 11वर्ष की अल्पायु में इनका विवाह चमोली के रैणी गाँव में श्री मेहरबान सिंह जी के साथ हुआ । लेकिन कुछ ही समय के बाद इनके पति की मृत्यु हो गई और ईन पर पूरे परिवार के भरण पोषण की जिम्मेदारी आ गई । इन विपरीत परिस्थितियों का इन्होंने डटकर मुकाबला किया और जीवन से हार नहीं मानी । 26मार्च 1974 को इन्होंने अपने अन्य साथियों के साथ वृक्षों से चिपककर वृक्षों को बचाया। जंगलों के प्रति इनके समर्पण को देखते हुए 1984में भारत सरकार ने प्रथम ‘ वृक्ष मित्र ‘ पुरस्कार से सम्मानित किया । आजीवन वृक्षों के लिये समर्पित और जंगलों को अपना मायका मानने वाली इस महान नारी का 1991में देहवसान हुआ । इनके त्याग और समर्पण को शत शत नमन ।
वृक्षो के संरक्षण और संवर्धन हेतु आपके अतुलनीय योगदान को उत्तराखण्ड ही नहीं सम्पूर्ण मानवजाति कभी भूल नहीं पायेगी l आपका अतुलनीय प्रयास, साहस और धैर्य विश्व के लिए अनुपम उदाहरण है l
बिमला रावत (ऋषिकेश )
उत्तराखण्ड