रामायण की कथा भजन के माध्यम से मेरे शब्दों में – 3 — रूपल दवे

रघुकुल के राजा धर्मात्मा,
चक्रवर्ती दशरथ पुण्यात्मा,
संतति हेतु यज्ञ करवाया।
धर्म यज्ञ का शुभ फल पाया।
नृप घर जन्मे चार कुमारा,
रघुकुल दीप जगत आधारा,
चारों भ्राताओं के शुभ नामा,
भरत,शत्रुग्न,लक्ष्मण,रामा।
इसमें कहा गया है की रघुकुल के राजा धर्मात्मा यानी के धनवान थे और चक्रवर्ती यानी सम्राट,राजा दशरथ बहुत ही पुण्यात्मा यानी पुण्य कर्म करने वाले थे। उन्होंने संतति यानी संतान की प्राप्ति के लिए यज्ञ करवाया।
धर्म यज्ञ करके राजा दशरथ ने शुभ फल पाया और नृप यानी राजा के घर में जन्मे चार राजकुमार जो रघुकुल के कुलदीपक
या कुल के आधार थे। चारों राजकुमारों के शुभ नाम थे भरत, शत्रुग्न,लक्ष्मण और राम।
गुरु वशिष्ठ के गुरुकुल जाके,
अल्प काल विद्या सब पाके,
पूरण हुई शिक्षा,
रघुवर पूरण काम की,
हम कथा सुनाते राम सकल गुणधाम की,
ये रामायण है पुण्य कथा श्री राम की,
ये रामायण है पुण्य कथा श्री राम की।।
फिर कहा गया है की गुरु वशिष्ठ जी के आश्रम में जाके अल्प काल यानी बहुत ही कम समय में शिक्षा पाके रघुवर ने प्रभु श्री राम ने अपना शिक्षा का काम पूरा किया।हम उन्हीं प्रभु श्री राम के समस्त कुल की आपको कथा सुना रहे है। ये रामायण नामक पुण्य कथा है जो की श्री राम से सबंधित है।
रूपल दवे “रूप”