रोते -रोते हंसने लगी // विमला रावत

यह घटना उस समय की है, जब मेरा हाई स्कूल बोर्ड परीक्षा का परिणाम निकला था l उन दिनों परीक्षा परिणाम अख़बार में आता था l आज की तरह मोबाइल में परीक्षा परिणाम नहीं आता था l अख़बार भी मुश्किल से ही मिलता था और जिसे परीक्षा वाला अख़बार मिल जाता था तो उसकी तो चांदी हो जाती थी क्योंकि परीक्षा परिणाम देखने के लिए उस समय (1983)दस से बीस रूपये लिए जाते थे l मैं भी अपनी छोटी बहन के साथ अपना परीक्षा परिणाम देखने गई और अख़बार वाले भैया को अपना रोल नंबर बताया और अपने रिजल्ट का बेसब्री से इंतजार करने लगी l भैया अख़बार में मेरा नंबर देखने लगे औऱ देखने के बाद बोला कि इसमें तुम्हारा नंबर नहीं है l ये सुनकर मेरे चेहरे का रंग उतर गया और मैं रोते -रोते घर आ गई l घर में घुसते ही मेरा उतरा चेहरा देखकर माँ समझ गई कि कुछ गड़बड़ है l
मैं सारे दिन कमरे में रोती रही, सभी मुझे ताने मार रहे थे, शाम को पापा जी ने कहा, ऐसा नहीं हो सकता कि तुम फ़ैल हो जाओ l पापा जी कहने लगे मैं फिर से रिजल्ट देखकर आता हूँ l पापा जी जाने लगे इतने मेरी मौसी जी आ गई औऱ कहने लगी तुम सब उदास क्यों बैठे हो? माँ बोली क्या बताऊँ ये (मेरी ओर ) फेल हो गई है l मौसी जी ने कहा – किसने बोला? माँ ने कहा ये ही सुबह अपना रिजल्ट देखकर आई है l
मौसी ने बोला मैं भी इसका रिजल्ट देखकर आ रही हूँ और ये प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुई है और इसलिए मैं आप सभी का मुँह मीठा करने के लिए मिठाई लाई हूँ l ये सब बातें सुनकर मैं रोते -रोते हंसने लगी l मेरे छोटे भाई और बहन जो सुबह से मेरे साथ उदास बैठे थे वे भी ख़ुशी से नाचने लगे l मम्मी और पापा की आँखों से ख़ुशी से आँसू
आ गए l और तब मैंने जाना कि रोते रोते भी हंसा जाता है l
बिमला रावत ( ऋषिकेश )
उत्तराखण्ड