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सोसलमिडिया और रिश्ते — रश्मि मृदुलिका

 

वर्तमान समय में रिश्ते उलझ रहे हैं| सोसल मीडिया ने जहाँ सूचनाओं में क्रांति लायी है| वहीं रिश्तों में भी परिवर्तन आया है| हम सोसल मीडिया में जितने जुड़े, वास्तविक जीवन में उतने ही दूर हो गए|विज्ञान सुगमता के लिए है, दूर्गम होने के लिए नहीं| सोसलमिडिया एक अभासी दुनिया है यहाँ शुरुआत में सब मनमोहक लगता है दिलासा देते लोग अपने लगते हैं, हर पल को सोसलमिडिया में पोस्ट करना और उस पर लाइक कंमेट पाकर झूम जाना, सब बहुत अच्छा लगता है, लेकिन धीरे धीरे इसका माया जाल फैलने लगता है, अपने हर नीजी वक्त को मीडिया के सामने रखने आदत होने लगती है हर वक्त सेल्फी लेना, रिकॉर्डिंग करते रहना जैसे आम हो जाता है, फलस्वरूप एक दूसरे से बात करने और सुख दुःख पूछने की फुरसत नहीं होती, सोसलमिडिया पर ही बधाई देकर या हालचाल पूछकर ही इंसान इतिश्री कर लेता है, और यदि किसी का लाइक कंमेट न हो तो वह व्यक्ति दुश्मन लगने लगता है, घरों में भी सभी अपने- अपने कमरों में बैठकर केवल मोबाइल की दुनिया में व्यस्त रहते हैं, कौन आया, कौन गया किसी को मतलब नहीं, विशेषकर बच्चे और युवाओं में यह ऐब तेजी से फैल रहा है, शादी हो या मृत्यु, हर जगह की फोटो लेना और पोस्ट करना बस यही शौक रह गया है, इस कारण लोगों को पता ही नहीं चल पा रहा कि वे कितना संवेदनहीन हो गए हैं, क्राइम अब आम बात हो गई है, वैसे तो इस विषय पर लिखने के बहुत कुछ है लेकिन आज के दौर में बहुत जरूरी है रिश्तों की खुबसूरती को बचाया जाए| एक – दूसरे को सुना जाए, समझा जाए| माता- पिता, भाई- बहिन, दादा- दादी, पति पत्नी जैसे रिश्ते परिवार की नींव है|रिश्ते जीवन का आधार है| जरूरी है सहेजना, संभालना, और वक्त देना|

रश्मि मृदुलिका

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