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24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ से पूर्व निकली भव्य कलश यात्रा, पीली साड़ियों में 1500 से अधिक मातृशक्ति ने सिर पर धारण किया कलश

 

जयपुर, 15 अप्रैल:
आगरा रोड स्थित ग्रीन पार्क पंचमुखी महादेव मंदिर परिसर से मंगलवार को 24 कुंडीय शक्ति संवर्द्धन गायत्री महायज्ञ से पूर्व भव्य कलश यात्रा का आयोजन किया गया। मंगल गीतों की स्वर लहरियों और जयघोषों के बीच जब पीली साड़ियों में सजधज कर 1500 से अधिक महिलाओं ने सिर पर मंगल कलश धारण कर यात्रा निकाली, तो वातावरण भक्ति और ऊर्जा से ओतप्रोत हो गया।

चालो चालो सुहागिन नार, कलश सिर धारण करो…” जैसे गीतों के साथ मातृशक्ति की इस शोभायात्रा में युवा और बच्चे भी हाथों में सद्वाक्य लिखी तख्तियाँ लिए सहभागिता निभाते नजर आए। यह कलश यात्रा अखिल विश्व गायत्री परिवार, शांतिकुंज हरिद्वार के मार्गदर्शन में 19 अप्रैल तक चलने वाले महायज्ञ का शुभारंभ थी, जिसका उद्देश्य विश्व शांति और राष्ट्र जागरण है।

हरियाली, सद्भाव और परंपराओं का अद्भुत संगम
महिलाएं कलश के साथ ज्वारे लेकर हरियाली का संदेश देती नजर आईं। पुरुष कार्यकर्ता पीले ध्वज लेकर चल रहे थे, वहीं कई श्रद्धालु सिर पर सदग्रंथ लेकर सहभागी बने। भारत माता, झांसी की रानी, महाराणा प्रताप और राम दरबार की झांकियों ने शोभायात्रा को आकर्षक स्वरूप प्रदान किया। राजस्थानी साफा पहने युवतियों की वाहन रैली ने भी सभी का ध्यान खींचा। शोभायात्रा हाईवे की सर्विस रोड से होती हुई पुनः यज्ञ स्थल पहुंची, जहां विभिन्न संस्थाओं की ओर से पुष्पवर्षा कर स्वागत किया गया।

कलश धारण की सामर्थ्य केवल नारी शक्ति में
शांतिकुंज हरिद्वार से पधारे टोली नायक प्रभाकांत तिवारी ने अपने प्रेरणादायक उद्बोधन में कहा कि “कलश में समस्त देव शक्तियां निवास करती हैं, और इसे सिर पर धारण करने की सामर्थ्य केवल मातृशक्ति में होती है।” उन्होंने कहा कि कलश यात्रा का उद्देश्य है – विविधता में एकता, मतभेद में भी मनभेद से बचते हुए समरसता से जीवन जीना।

कार्यक्रम का शुभारंभ गायत्री परिवार राजस्थान जोन के समन्वयक ओमप्रकाश अग्रवाल, गायत्री शक्तिपीठ ब्रह्मपुरी के सह व्यवस्थापक मणिशंकर पाटीदार, रामकिशोर शर्मा, महावीर माहेश्वरी, ऋतिक खंडेलवाल सहित कई गणमान्य अतिथियों द्वारा कलश पूजन से हुआ।

आगे के कार्यक्रम:

  • 16 अप्रैल: दोपहर 2 से शाम 5 बजे तक संगीतमय प्रवचन।
  • 17 अप्रैल: सुबह 8 बजे से देव पूजन एवं गायत्री महायज्ञ, दोपहर में कार्यकर्ता गोष्ठी और प्रवचन।
  • 18 अप्रैल: सुबह महायज्ञ व संस्कार, शाम 7 से राष्ट्र जागरण दीप महायज्ञ।
  • 19 अप्रैल: महायज्ञ व गुरु दीक्षा संस्कार, नशा मुक्ति संकल्प के साथ पूर्णाहुति, दोपहर में शांतिकुंज टोली की विदाई।

यह आयोजन न केवल आध्यात्मिक चेतना को जाग्रत कर रहा है, बल्कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन की अलख भी जगा रहा है।

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