Uncategorized

भगवान महावीर — डॉ संजीदा खानम शाहीन

भगवान महावीर, जिन्हें वर्धमान के नाम से भी जाना जाता है, जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर थे, जिन्होंने अहिंसा, सत्य और अस्तेय जैसे मूल्यों पर जोर दिया.
जन्म और परिचय:
भगवान महावीर का जन्म छठी शताब्दी ईसा पूर्व में, वैशाली गणराज्य के क्षत्रियकुंड में हुआ था।

उनके पिता का नाम सिद्धार्थ और माता का नाम त्रिशला देवी था.
उन्होंने 30 वर्ष की आयु में संसार से विरक्त होकर राज वैभव त्याग दिया
और संन्यास धारण कर लिया।
अहिंसा और ज्ञान की खोज:
महावीर ने 12 वर्षों तक कठिन तपस्या की और ज्ञान प्राप्त किया।
उन्होंने अहिंसा, सत्य और अस्तेय जैसे मूल्यों पर जोर दिया और लोगों को इन मूल्यों का पालन करने के लिए प्रेरित किया.
उन्होंने जाति, धर्म और लिंग भेद का विरोध किया.
अंतिम तीर्थंकर:
महावीर जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर थे।
वे सत्य और अहिंसा के पुजारी थे और लोगों को भी सत्य का मार्ग चुनने और हिंसा न करने के लिए प्रेरित करते थे.
निर्वाण:
महावीर ने 72 वर्ष की आयु में पावापुरी में निर्वाण प्राप्त किया.
महावीर जयंती:
भगवान महावीर का जन्म चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को हुआ था, जिसे महावीर जयंती के रूप में मनाया जाता है।
यह त्योहार देश भर में मनाया जाता है तीस वर्ष की आयु में महावीर ने संसार से विराट हो गये
… महावीर के अनुयायियों ने पुनर्जन्म के सिद्धांत जैसे कुछ वैदिक विश्वासों को तो अपनाया।
महावीर जैन का संबंध भगवान राम से भी माना जाता है। भगवान महावीर का जन्म राजघराने में हुआ था. वे चाहते तो राज परिवार में रहते हुए जीवन के सारे सुख भोग सकते थे, लेकिन उन्होंने सन्यास का रास्ता चुना और युवावस्था में ही राजपाट और सांसारिक सुखों को त्याग दिया. आज महावीर जयंती के मौके..— भगवान महावीर की मां का नाम त्रिशला देवी और पिता सिद्धार्थ थे। वह ज्ञातृ वंशीय क्षत्रिए थे। उनका गोत्र काश्यप था। सिंह राशि में जन्में महवीर का वर्ण सुवर्ण था।
भगवान महावीर भा वर्धमान, जैन धर्म के चउबीसवाँ तीर्थंकर रहलें। इनके जनम परंपरागत रूप से छठईं सदी ईसा पूर्व में भइल मानल जाला। वर्तमान बिहार के वैशाली जिला के आ तत्कालीन वज्जि महाजनपद के राजधानी वैशाली नगर के लगे कुंडग्राम में इनके जनम..— महावीर स्वामी ने अपने प्रथम उपदेश में अहिंसा, करुणा और सत्य की शिक्षा दी। उन्होंने अपने उपदेश के माध्यम से लोगों को एक नई दिशा दी। उन्होंने जाति, धर्म और लिंग भेद का विरोध किया।

डॉ संजीदा खानम शाहीन

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!