571 कन्याओं का होगा भव्य पूजन, पुष्पवर्षा से स्वागत, उपहार में मिलेगी शिक्षा सामग्री
उत्थान सेवा संस्थान द्वारा नांगल जैसा बोहरा में दशम् कन्या पूजन।

जयपुर। रामनवमी के पावन अवसर पर उत्थान सेवा संस्थान की ओर से झोटवाड़ा स्थित नांगल जैसा बोहरा की बावड़ी भूमि पर शनिवार, 6 अप्रैल को सुबह 8 बजे से दशम् कन्या पूजन एवं पंचकुंडीय वैदिक यज्ञ महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन में झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाली 571 कन्याओं को विशेष रूप से बसों द्वारा कार्यक्रम स्थल तक लाया जाएगा, जहां उनका स्वागत पुष्प वर्षा और गाजे-बाजे के साथ किया जाएगा।
कार्यक्रम में कन्याओं को माँ दुर्गा के रूप में सजाकर पाद प्रक्षालन कर पूजन किया जाएगा। इसके बाद उन्हें स्वादिष्ट भोजन कराया जाएगा और उपहार स्वरूप ड्रेस, चरण पादुका, पाठ्य सामग्री व स्टेशनरी दी जाएगी। सभी उपस्थित लोग इन कन्याओं की सामूहिक आरती कर पूजन के माध्यम से समरसता और नारी सम्मान का संदेश देंगे।
इस आयोजन का उद्देश्य न केवल धार्मिक है, बल्कि सामाजिक और शैक्षिक उत्थान को भी समर्पित है। उत्थान सेवा संस्थान पिछले एक दशक से समाज के वंचित वर्ग की बच्चियों को शिक्षा एवं संस्कार देने का कार्य कर रहा है। इस बार आयोजन का विशेष संदेश प्लास्टिक मुक्त भारत भी है। आयोजकों ने बताया कि कार्यक्रम स्थल पर पूरी तरह प्लास्टिक का निषेध रहेगा। भोजन पत्तल और कागज के गिलासों में परोसा जाएगा।
विशेष यज्ञ व घोषणाएं
कार्यक्रम की शुरुआत पंचकुंडीय वैदिक यज्ञ से होगी जिसमें माँ दुर्गा और भगवान श्रीराम के निमित्त विशेष आहुतियाँ दी जाएँगी। इसके पश्चात संस्थान द्वारा झुग्गी बस्ती में एक नए विद्यालय की घोषणा भी की जाएगी जिसमें 50 बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दी जाएगी। वर्तमान में संस्थान द्वारा चलाए जा रहे पाठशाला में 80 बच्चे पढ़ रहे हैं।
सेवानिवृत्त सैनिकों की सेवा भावना
उत्थान सेवा संस्थान के अध्यक्ष कैप्टन शीशराम चौधरी ने बताया कि यह संस्था 2015 से सक्रिय है और अब तक सैकड़ों कन्याओं को भोजन और शिक्षा से जोड़ चुकी है। संस्था से सेना और सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त लगभग एक दर्जन वरिष्ठजन जुड़े हैं, जो अपनी पेंशन और समाज के सहयोग से यह पुनीत कार्य कर रहे हैं।
कैप्टन चौधरी ने कहा, “शिक्षा से बड़ा कोई उपहार नहीं हो सकता। जब समाज की बेटियाँ शिक्षित होंगी, तभी सशक्त राष्ट्र का निर्माण होगा। हमारा प्रयास है कि नवरात्रि में केवल परंपरा नहीं, बल्कि परिवर्तन की शुरुआत हो।”
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