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अपंग दिव्यांग और साअंग एक चिंतन : क्रमांक 9 — सीमा शुक्ला

हमारे देश में हम सभी नागरिकों को सरकार द्वारा कुछ मौलिक अधिकार दिए गये हैं जिसमें सभी के लिए शिक्षा के समान अवसर की उपलब्धता भी हैं. अपंग जीवो को दिव्यांग बनाने में शिक्षा का विशेष महत्व है. इसलिए सरकार विभिन्न नितियों के तहत अपंग जीवो को विभिन्न सुविधाएं उपलब्ध कराना सुशिक्षित करने का प्रयास करती है. विभिन्न प्रकार के अपंग जीवो को शिक्षित करने के लिए विभिन्न प्रकार की नितियां हैं. जिनका ज्ञान ना केवल अपंग छात्र छात्राओं को होना चाहिए, बल्कि इन्हें शिक्षा देने वाले शिक्षकों सिखाया व समझाया को भी जाना चाहिए.
आज हम दृष्टिहीन दृष्टिबाधित तथा अल्प दृष्टि जीवों के बारे में समझेंगे. अपने अधिकारों को समझने के लिए सभी दिव्यांग जीवों को शासन द्वारा निर्मित आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम और एनपीई से परिचित होंना आवश्यक है. इन अधिनियमो की जानकारी शिक्षक तथा छात्र छात्राओं को सशक्त बनाने ‌मे सहयोगी भूमिका अदा करती है.
किसी भी अपंग जीव को किसी भी शैक्षणिक संस्था में प्रवेश के समय दृष्टिबाधितता, दृष्टिहीनता या अल्पदृष्टि के बारे में संस्था को सूचित करना चाहिए ताकि उक्त छात्र के लिए उचित व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके।
किसी भी मुद्दे या अपनी अतिरिक्त आवश्यकताओं के समाधान के लिए शिक्षकों और स्कूल प्रशासकों के साथ ऐसे विद्यार्थीयो को नियमित वार्तालाप बनाए रखना चाहिए। हर दिव्यांग को शासन कुछ अधिकार शिक्षा के श्रेत्र में उपलब्ध करवाती है उनमें से
दृष्टिबाधित छात्रों को निम्नलिखित का अधिकार शासन द्वारा उपलब्ध है:
सुलभ शिक्षण सामग्री:
दृष्टिहीन दृष्टिबाधित तथा अल्प दृष्टि के विद्यार्थियों के लिए प्रत्येक शैक्षणिक संस्था में
पाठ्यपुस्तकें, परीक्षा पत्र और अन्य शैक्षिक संसाधन आवश्यकतानुसार ब्रेल, बड़े प्रिंट या डिजिटल प्रारूप में उपलब्ध होने चाहिए। इन छात्र छात्राओं के लिए
शैक्षणिक संस्थाओ को स्क्रीन रीडर, मैग्निफायर और ब्रेल राइटर जैसे उपकरणों तक पहुंच उपलब्ध करानी चाहिए।
ऐसे बच्चों को अभिविन्यास और गतिशीलता प्रशिक्षण के प्रावधान के साथ-साथ विशेष सहायक स्टाफ, जैसे ब्रेल प्रशिक्षक या गतिशीलता प्रशिक्षक भी संस्था में उपलब्ध होना चाहिए.
परीक्षा देते समय दृष्टिबाधित छात्र छात्राओं को निम्नलिखित सुविधाएं उपलब्ध करानी चाहिए:
दृष्टि दिव्यांग छात्र छात्राओं को परीक्षाओं मे प्रश्नपत्र तथा उत्तर देने के लिए ब्रेल, बड़े प्रिंट या ऑडियो प्रारूप में उपलब्ध हो यह प्रत्येक शैक्षणिक संस्था को निश्चित करना चाहिए.
परीक्षा के दौरान सहायता: परीक्षा के दौरान ऐसे विद्यार्थियों के लिए लेखक या रीडर की व्यवस्था आवश्यक रूप से होनी चाहिए।
अतिरिक्त समय: परीक्षा के दौरान ऐसे विद्यार्थियों के लिए सहायक प्रौद्योगिकियों के उपयोग के लिए परीक्षाओं का समय बढ़ाया गया है अत: ऐसे विद्यार्थियों को अतिरिक्त समय प्रदान किया जाना चाहिए।
चुनौतियां:
शैक्षणिक संस्थाओ में दिव्यांग छात्र छात्राओं को कई चुनौतियो का सामना करना पड़ता हैं. दृष्टि दोष से पीड़ित छात्र छात्राओं को ना केवल भेदभाव तिरिस्कार अपितु भौगौलिक तथा वातावरण की चुनौतियां प्रत्येक दिन देखने को मिलती हैं. प्रतयेक शैक्षणिक संस्था में दृष्टि दिव्यांग जीव के सहपाठी तथा कभी कभी शिक्षक भी इनके इस कमी के कारण इन्हें हास्य की वस्तु समझ इनका मजाक बनाते हैं. जिससे इन्हें मानसिक चुनौतियां का सामना हर पल करना पड़ता है. प्रत्येक शैक्षणिक संस्था में सा अंगों के जीवन शैली के अनुसार अधोसंरचना का निर्माण होता है जिसमे दृष्टि दिव्यांग अपने आप में असहज महसूस करता है. इन्हें इनके लिए उपयुक्त रैंप टैंक टाइल्स रंग विभेद पृष्ठभूमि की आवश्यकता होती है.
इस हेतु शैक्षणिक संस्थाओ में सुलभ बुनियादी ढांचे के कार्यान्वयन और सहायक प्रौद्योगिकियों के उपयोग की शासन द्वारा अनुसंशा की गई है
चुनौतियों के बावजूद अपनी शिक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले दृष्टिबाधित छात्रों की सफलता की कहानियों को उजागर करना दूसरों को प्रेरित और प्रोत्साहित कर सकता है। ये कहानियाँ समावेशी शिक्षा के प्रभाव और सहायक उपायों के लाभों को दर्शाती हैं।
सीमा शुक्ला चांद

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