Uncategorized

अपनी परंपराओं को जीवंत कैसे बनाए रखें..?? — राजेन्द्र परिहार “सैनिक”

 

हमारा भारत विविध रूपा संस्कृतियों का समन्वयक देश है,प्रत्येक धर्मावलंबियों के पर्व उत्सव हर दिवस समारोह सम्मान पूर्वक मनाए जाते हैं। हम सनातनी परंपरा के अन्तर्गत मनाए जाने के संदर्भ में विस्तार से विचार करें तो इन पारंपरिक पर्व उत्सव त्योहारों की प्राचीनता का अनुमान नहीं लगा पाएंगे। ये पर्व उत्सव और महापर्व युगों युगों से मनाए जाते रहें हैं। हां,,
समयानुसार कुछ परिवर्तन होना अवश्यंभावी है।

उत्सव हमारी सांस्कृतिक और पारम्परिक विरासत है और ये विरासत ही हमारी पहचान है हमारी सांस्कृतिक एकता अखंडता को बनाए हुए है। यह हमारे आमोद प्रमोद और सद्भावना, आपसी मेल मिलाप के सुंदरतम माध्यम हैं एकरसता और उबाऊ जिंदगी में खुशियां मनाने और ऐतिहासिक तथ्यों से साक्षात्कार करने के माध्यम भी हैं। दीपावली नहीं मनाई जाती तो शायद राम और रावण का नाम ही भूल जाते लोग। होलिका दहन नहीं होता तो हिरण्यकश्यप और प्रह्लाद की कहानी भूल जाते लोग। उत्सव त्योहारों की परंपरा को सहेज कर रखना अब चुनौती से कुछ कम नहीं। उत्सव त्योहारों का महत्व धीरे-धीरे कम होने लगा है वो उत्साह और उमंग नहीं रही अब केवल औपचारिकता मात्र रह गया है त्योहारों को मनाने का उल्लास। आधुनिकता और लापरवाह मानसिकता ने सब-कुछ बदलकर रख दिया है। आने वाली पीढ़ी को पारंपरिक उत्सव एवम्
त्योहारों में रूचि ही नहीं है। हमें स्वयं आगे बढ़कर नई पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक परम्पराओं का ज्ञान देना होगा। कुछ बदलाव करके इन्हें भव्य रूप देना होगा। लेख,कविता, और विभिन्न माध्यमों से नई संतति में चेतना जागृत करना होगा।

राजेन्द्र परिहार “सैनिक”

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!