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चैन, अमन ,शांति — डॉ मीरा कनौजिया काव्यांशी

 

मानव को हमेशा चैन, अमन, शांति, का मानव जीवन में निर्वहन करना चाहिए। मानव जीवन बड़े ही सुकृत्यो का परिणाम होता है। मनुष्य देह का आवागमन सतत निरंतर शाश्वत है। क्यों ना हम अपनी आयु रहते ही उसको पूर्ण रूप से परिपालन करते हुए सत्कर्मों में तल्लीन रहे।
मानव जीवन प्राप्त हुआ है यह अनमोल बात होती है, लेकिन उससे भी बहुमूल्य बात होती है कि आपने मानव जीवन में सत्कर्मों के अनुरूप ही मानव जीवन का उत्तरदायित्व आपने पूर्ण रूप से निभाया है कि नहीं।
घर ,देश ,समाज, परिवार राष्ट्र सभी जगह चैन अमन शांति का
संदेश देते हुए मानव जीवन को हमेशा महत्व देना चाहिए। क्योंकि मानव जीवन एक बार प्राप्त होता है आपस में भाईचारा ,सौहार्द ,प्रेम परस्पर ,मेलजोल , सामान्य सद्भाव सर्वधर्म समभाव की भावना को जागृत करते हुए परस्पर आपस में व्यवहार करना अति आवश्यकहै।
इस संसार में सभी प्राणी मात्र कदापि व्यर्थ में समय नष्ट नहीं करते। अपने-अपने स्वयं कर्म में तल्लीन रहते हैं। कार्य के अनुरूप भी उन्हें फल की प्राप्ति होती है।
हमारे नैसर्गिक संपदा अमूल्य है अनमोल है ।नैसर्गिक प्रकृति हम सभी से सतत सर्वदा कम निरत रहने की प्रेरणा प्रदान करती है। और हम प्रकृति के अनुरूप ही अपने को परिवर्तित करके कर्म में लगे रहते हैं। और उसी के अनुरूप हम सभी को परिणाम प्राप्त होते हैं। मनुष्य को सदा सदैव अपने सुंदर मानवतायुक्त जीवन में और मानवीय उच्च विचारों में सदाचारों में अपना जीवन यापन करते हुए दूसरों के साथ परस्पर सुंदर अचार विचारों का लेनदेन विचार विनिमय परस्पर करना चाहिए। और इस प्रकार से मानव जीवन की सार्थकता प्रकट करते हुए परस्पर जीवन व्यवहर्तृ करना चाहिए।
मानव जीवन में एक बार ही प्राप्त होता है और वह भी बहुत सुंदर सुकृत्यों के परिणाम स्वरूप प्राप्त होता है।

डॉ मीरा कनौजिया काव्यांशी

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