हम और हमारा समाज // शिक्षाविद् एवं अधिवक्ता दीपक शर्मा जांगिड

हमारा समाज एक जटिल और विविधतापूर्ण इकाई है, जिसमें विभिन्न प्रकार के विचारशील एवं बुद्धिजीवी लोग, संस्कृतियाँ, और परंपराएँ शामिल हैं। हम सभी इस समाज का हिस्सा हैं और हमारी भूमिका इस समाज को आकार देने और बनाए रखने में महत्वपूर्ण है।
हमारा समाज विभिन्न वर्गों और समूहों से बना है, जैसे कि परिवार, समुदाय, जाति, धर्म, और राष्ट्र। प्रत्येक वर्ग और समूह की अपनी विशिष्ट विशेषताएँ और भूमिका होती है, जो समाज के निर्माण और विकास में योगदान करती हैं।
सामाज में *हमारी भूमिका* विशेष होती है ।
हमारी भूमिका समाज में बहुत महत्वपूर्ण है। हम समाज के सदस्य के रूप में अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करके समाज को मजबूत और स्थिर बना सकते हैं। हमारी भूमिका में शामिल हैं:
-समाज ने हमें जीवन जीने की व्यवस्था ,नियम और कायदे रीति रिवाज़ ,परम्पराएँ एवं वैभवशाली इतिहास दिया है। आज हमें जो सुख सुविधाएँ एवं विकसित तकनीकी समाज के द्वारा मिली है तो निश्चित तौर पर हमारी अहम ज़िम्मेदारी है जिस प्रकार समाज भी हमें इतनी सुंदर जीवन जीने की व्यवस्था दी है तो हमारा दायित्व बनता है की हम इस व्यवस्था को अपराध मुक्त ,स्वार्थ मुक्त बनाकर समाज में आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रंग भरकर है इसकी ख़ूबसूरती और अधिक बढ़ाएं और जिस समाज से आज हम कितना कुछ प्राप्त कर रहे हैं निश्चित तोर पर हमारा कर्तव्य एवं ज़िम्मेदारी बनती है कि आने वाली पीढ़ियों को हम भी कुछ नया देकर जाए।
हमारी *सामाजिक जिम्मेदारी*: हमें अपने समाज के प्रति जिम्मेदार होना चाहिए और समाज के हित में काम करना चाहिए।
हमारी*सांस्कृतिक विरासत*: हमें अपनी सांस्कृतिक विरासत को बनाए रखना चाहिए और अगली पीढ़ी तक पहुँचाना चाहिए।
*: हमें सामाजिक न्याय के लिए काम करना चाहिए और समाज में व्याप्त असमानताओं को दूर करना चाहिए।
हमारा समाज विभिन्न चुनौतियों का सामना कर रहा है, जैसे कि: सामाजिक अपराध महिलाएँ सुरक्षा के लिए सामाजिक असुरक्षा, बाहरी संस्कृति के प्रभाव से वृद्धजनों की सुरक्षा ,सम्मान एवं युवाओं का बढ़ती बेरोज़गारी के कारण अपराध की ओर जाने का भय बना रहता है ।
: समाज में असमानता एक बड़ी चुनौती है, जो लोगों को उनके अधिकारों और अवसरों से वंचित करती है।
: भेदभाव समाज में एक बड़ी समस्या है, जो लोगों को उनके धर्म, जाति, लिंग, और अन्य आधारों पर भेदभाव का सामना करना पड़ता है।
: पर्यावरण संकट एक बड़ी चुनौती है, जो हमारे ग्रह के भविष्य को खतरे में डालती है। पर्यावरण संकट से बचने के लिए हमें जीव जन्तुओं एवं वृक्षों से प्रेम करना होगा परिवार में जन्म दिवस एवं अन्य शुभ अवसर होने पर एक पौधा ज़रूर लगाएं और उसकी सेवा करें । और हमारे जैसे बुद्धिजीवी व्यक्तियों को “एक पेड़ माँ के नाम “जैसे नारों को सार्थक करना होगा। पर्यावरण की रक्षा के लिए जीव जंतुओं की रक्षा का बीड़ा उठाना होगा ।
“हम और हमारा समाज “ यह शीर्षक तब ही साकार होगा जब हम और हमारा समाज एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। हमारी भूमिका समाज को आकार देने और बनाए रखने में महत्वपूर्ण है। हमें अपने समाज के प्रति जिम्मेदार होना चाहिए और समाज के हित में काम करना चाहिए। हमें सामाजिक न्याय के लिए काम करना चाहिए और समाज में व्याप्त असमानताओं को दूर करना चाहिए। आइए हम अपने समाज को मजबूत और स्थिर बनाने के लिए मिलकर काम करें।
शिक्षाविद् एवं अधिवक्ता दीपक शर्मा Jangid
9314263525