जल ही जीवन है_– रुकमणी शर्मा

जल ही जीवन है।जल धरा पर एक अनमोल संसाधन है जिसके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। धरती का तीन चौथाई भाग जल ही है, पीने योग्य पानी मात्र तीन प्रतिशत ही है।सत्तानवे प्रतिशत खारा पानी है और दो प्रतिशत प्रतिशत बर्फ के रूप में है।सिर्फ एक प्रतिशत पानी ही पीने योग्य है।
जीवन में सभी कार्यों को करने के लिए पानी की आवश्यकता होती है।जनसंख्या वृद्धि, औद्योगिक विकास के कारण पानी की खपत अधिक हो रही है जिससे पानी की कमी हो रही है।भीषण गर्मी में देश के हिस्सों में पानी की कमी की विकट समस्या उत्पन्न हो जाती है। दुनियां के पचहत्तर प्रतिशत लोग पानी की कमी की समस्या से जूझ रहे हैं। देश के कई हिस्सों में तो आज भी लोग पानी की बूंद-बूंद लेने मीलों दूर जाते हैं।पानी की कमी जानकारी होने के बावज़ूद लोग पानी की बर्बादी करते हैं जो भविष्य के लिए ख़तरे की घंटी है।
दिन प्रतिदिन जल प्रदूषण की समस्या भी बढ़ रही है। अधिकतर रोगों का कारण प्रदूषित पानी ही है। प्रदूषित जल आर्सेनिक और लोहांस की मात्रा अधिक होती है जो हानिकारक है।
पानी की एक-एक बूंद क़ीमती है, इसे बचाना बहुत ज़रूरी है।जल है तो हम हैं।प्रकृति, जीव-जंतु मानव सब के जीवन का आधार जल है।सरकार और हमें, दोनों को जल संरक्षण करना होगा तभी जल का कल सुरक्षित होगा।जल सुरक्षित तो हम सुरक्षित।
रुकमणी शर्मा
गुरुग्रा म