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कला, कविता और संवेदना का संगम: साहित्य 24 की शाम

 

जयपुर। 26 अप्रैल की सायं साहित्य 24 मंच द्वारा आयोजित मासिक ई-काव्य गोष्ठी उत्साहपूर्ण और भावनात्मक वातावरण में संपन्न हुई। सभी प्रतिभागियों ने अपनी उत्कृष्ट रचनाओं से गोष्ठी को सरस और स्मरणीय बना दिया। गोष्ठी का शुभारंभ राधा की सुंदर रचना से हुआ, जिसने शुरुआत से ही वातावरण को भावपूर्ण बना दिया। इसके बाद राजेश कुमार ‘राज’ की सजल रचना ने सभी के मन को गहराई से छू लिया और गोष्ठी में विशेष स्थान प्राप्त किया।
मैत्रेई त्रिपाठी के मधुर गीत ने पूरे वातावरण को सुरभित कर दिया और श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। मनोरमा की रचना “लैटर बॉक्स” ने अपनी सरलता और भावनात्मक गहराई से सभी का मन मोह लिया।
सुनीता बंसल ने अपने दोहों और प्रकृति प्रेम पर आधारित रचना से सभी को भाव-विभोर कर दिया। साथ ही, पहलगाम घटना पर प्रस्तुत उनकी आक्रोशित रचना ने श्रोताओं के मन में संवेदना का ज्वार उत्पन्न कर दिया।
शकुन्तला ने दीपक के महत्व को रेखांकित करती अपनी रचना से सभा में प्रकाशमान वातावरण उत्पन्न किया, जबकि सुनीला नारंग ने संदेशात्मक रचना द्वारा जीवन मूल्यों की महत्ता पर सारगर्भित संदेश दिया। अंत में शिखा खुराना ने अपनी ग़ज़ल प्रस्तुत की, जिसे उपस्थित सभी श्रोताओं ने सराहा और खूब प्रशंसा की।

 

गोष्ठी की मुख्य अतिथि विभा ने सभी प्रस्तुतियों पर बारीकी से समीक्षा की और रचनाकारों को प्रोत्साहित किया। उन्होंने समसामयिक विषय ‘अपनों को समय देने’ की महत्ता पर एक सुंदर दोहा प्रस्तुत किया और अपने विचार साझा किए, जिससे गोष्ठी में गहन सोच का वातावरण निर्मित हो गया।
साहित्य 24 की इस ई-काव्य गोष्ठी ने सभी प्रतिभागियों और श्रोताओं के हृदय में साहित्यिक आनंद और ऊर्जा का संचार किया।

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