लेख– हम भारत के लोग — लक्ष्मी चौहान

हम भारत के लोग, जो ऋषि-मुनियों की पावन धरती पर वास करते हैं। जहाँ नदियों को माँ की तरह पूजा जाता है। जहाँ के विशाल पर्वत एक पिता की तरह हमारी रक्षा करते हैं। जहाँ महिलाओं को देवी स्वरूप में पूजा माना जाता है। जिस देश में कन्याओं का पूजन किया जाता है। जिस देश की आध्यात्मिक, धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत विदेशियों को अपनी ओर आकर्षित करती है। ऐसे भारत देश के लोग हैं हम। जहाँ की विचारधारा ही है – “वसुधैव कुटुम्बकम”।
लेकिन वर्तमान समय में हम अपनी सारी विरासतों को भूलते जा रहे हैं। रिश्ते-नाते अपने तक ही सिमटते जा रहे हैं। एक तरफ कन्याओं का पूजन किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर अपहरण, बलात्कार और हत्याओं में वृद्धि होती जा रही है। घूरेलू हिंसाएं दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही हैं। आज हमारी बहू-बेटियाँ ही नहीं वरन् बेटे भी देश में सुरक्षित नहीं हैं। भारतीय नारी आधुनिकता का जामा पहन देह प्रदर्शन कर खुश हो रही है। आजाद ख्यालों का होने का मतलब ये नही है कि हम ख्यालों से भी मुक्त हो जाए। हमें सपने देखने चाहिए और बड़े सपने ही देखने चाहिए। लेकिन उनको पूरा करने के लिए गलत रास्ते पर चलना सही नही है। गलत रास्ते अक्सर हमें गर्त की ओर ले जाते हैं और हमारे पतन का कारण बनते हैं। सही और गलत का भेद हमें स्वयं ही करना होगा। जहाँ पर हमारी सोच विकसित होनी चाहिये थी वहाँ हमारी बुद्धि कुंद पड़ गई है। हमें सोचने, समझने व मनन करने की जरूरत है कि क्या वाकई में हम भारत के लोग हैं?
श्रीमती लक्ष्मी चौहान
कोटद्वार,उत्तराखंड