लघुकथा…..”निर्भरता” – नरेंद्र त्रिवेदी।

लघुकथा…..”निर्भरता” – नरेंद्र त्रिवेदी।(भावनगर-गुजरात)
“क्या उमेशभाई घर पर है?”
“आओ किशोरभाई आओ। आप कई दिनों बाद आए।”
“मेरा नियम है कि मैं बिना वजह नहीं जाता। जिस किरायेदार से घर का नियमित किराया मिलता हो उस किराएदार को परेशान करने की मेरी आदत नही है। आज मैं आपको एक विशेष बात बताने आया हूं।”
“किशोरभाई, आप कई दिनों के बाद आए हैं, बैठते हैं, बैठते हैं, हम आराम से बात करते हैं।”
“महेशभाई में उसे देखके आती हूं, कही उसे फिर से बुखार तो नही आया।”
“नही भाई आप बैठिये में देखके आती हूं।” उमाबेन यह कहकर उमेशभाई के कमरे में चले गये।
“उमाबेन देखिए मेरे पास समय नही है में बहुत जल्दी में हूं।”
“मैं बाद में बताती हूं। आप थोड़ा ठहरो तो सही।”
” किशोरभाई आप बैठिएगा, मैं तुम्हारे भाई को देख के वापस आती हूं। आपको थोड़ा इंतजार करना होगा। उसकी देखभाल करना भी तो महत्वपूर्ण है। वो कई दिनोसे बिमार है।”
उमाबेन, मैं जल्दी में हूं मेरी बात तो सुनो। हमने बात की थी की मैं सभी किरायेदारों को तीन साल के लिए किराए पर घर देता हूं। इसीलिए अगले महीने तीन साल पूरे हो रहे है। आपको घर खाली करना होगा। आपको परेशानी नहीं हो इसलिए आपको पहले से सूचित करना अच्छा है, इसलिए मैं आज आपको सूचित करने आया हूं। ”
“ठीक है, किशोरभाई हमें थोड़ा और समय देना पड़ेगा।आपके भाई का स्वास्थ्य अच्छा नहीं है। हम आपके घर को उसे स्वस्थ हो जाने के बाद जल्द खाली कर देंगे।”
“नहीं, नही में आपको मेरे नियम से ज्यादा समय नही दे शकता। आपको घर खाली करना पड़ेगा।”
“किशोरभाई क्या बार बार उठके खडे हो जाते हो आप थोड़ा बेठो तो सही। मैं उनसे पूछती हूं, क्या वो पानी की प्यास महसूस कर रहे है?”
“महेशभाई आप किशोरभाई को समझाते क्यूँ नही की ऐसा नहीं करते। हम यहां हमेशा के लिए रहना कहा चाहते हैं?”
“किशोरभाई उमा की बात सच है। उमा को कुछ समय देंना पड़ेगा।”
“महेशभाई, उमाबेन के रिश्ते में आप क्या है?”
“मैं उमा का बड़ा भाई हूं और उसकी स्थिति जानता हूं।”
उमाबेन उमेशभाई के कमरे से बाहर आई ओर फिर वापस उमेशभाई के कमरे में चली गई, पीछे पीछे महेशभाई भी उमेशभाई के कमरेमे चले गये … थोड़ी देर बाद, किशोरभाई ने महसूस किया कि उमाबेन और महेशभाई दोनों उमेशभाई के कमरे में छुपके मुझे ओर मेरे शब्दों को नजरअंदाज कर रहे है। मैं भी उमेशभाई के कमरेमे जाकर देखता हूं कि वो लोग क्या कर रहे है।
किशोरभाई उठे और उमेशभाई के कमरे में चले गए। किशोरभाई ने महेशभाई से संकेत के साथ पूछा, “उमेशभाई कहाँ है?”
महेशभाई, किशोरभाई का हाथ पकड़कर बाहर ले आये और बोले। “किशोरभाई, उमेशभाई की दो महीने पहले ही मृत्यु हो गई है, लेकिन उमा अभी भी मानती है की वह जीवित है। वह लगातार उसके साथ जीवन जी रही है। उमेशभाई की निर्भरता उमा छोड़ नही रही है।
कमरे से, उमाबेन की आवाज आई, ” महेशभाई जल्द आइये तुम्हारे भाई को फिर बुखार महसूस होता है।”
किशोरभाई बिना कुछ कहे अपनी पानी भरी आँखों से बाहर निकले …
नरेंद्र त्रिवेदी।(भावनगर-गुजरात)