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मारुतिनंदन हनुमान जी का प्राकट्योत्सव — रामसेवक गुप्ता

 

 

आज चैत्रीय पूर्णिमा है, वर्षों पूर्व आज ही के दिन , बजरंगबली हनुमान जी का अवतरण हुआ था। मां अंजनी और पिता केसरी जी के सानिध्य में उनका पालन-पोषण संपन्न हुआ,बालपने में जब हनुमान जी को भूख लगी तो, माता अंजनी वन में फल संग्रह हेतु चली गई, पीछे से हनुमान जी ने उगते लाल सूर्य को फल समझकर मुख में ग्रास बना लिया , फिर क्या था, हाहाकार मच गया,पूरे ब्रह्मांड में सिर्फ अंधेरा घनघोर छाने लगा।। सभी देवता गण,इंद्र के पास पहुंचे और अनुनय-विनय की,तब जाकर इंद्रदेव ने अपने बज्र प्रहार से हनुमान की ठोड़ी पर निशान बना दिया,तब से आपको हनुमान शब्द से संबोधित किया गया।।
बचपन में नादानी से इनको शक्तियां भूलने का भी श्राप मिला है,जब माता-पिता की विनम्र प्रार्थना से गुरूओं ने ऐसा वरदान मिला,जो आपकी शक्तियों को याद दिलाएगा तो स्वत: समस्त बल, बुद्धि, विद्या और शक्ति का पुनः भान हो जायेगा।।
सभी देवताओं द्वारा आपको अदम्य साहस,अटूट बल,देह बजरंग, ज्ञान, चिरंजीवी और अमरता का वरदान प्राप्त हुआ।।आप भक्ति, शक्ति, ज्ञान, विवेक, संगीत और युद्धकौशल में प्रवीण अमर अजेय हो।। पवनसुत अच्छे एक गायक ही नहीं बल्कि एक संगीतज्ञ भी हैं,अष्ट सिद्धि नौ निधियों के दाता हैं, दुष्टों,भूत पिसाच, असुरों के संघारक हैं।।
शिव शंकर के अवतारी, अतुलित बल धामा अंजनि पुत्र श्री राम जी के परम भक्त हैं।।उनका जन्म ही भगवान श्री राम जी के लिए,हुआ,वह किष्किन्धाकाण्ड से ही सदैव श्री राम और भाई लक्ष्मण के साथ रहे,और लंका के राजा दशानन का वध कर वापिस अयोध्या धाम आए,तब तलक साथ ही रहे, बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा है।।वह परम दयालु, भक्तवत्सल कलयुग के भगवान हैं, श्रद्धा से जो हनुमान जी को लाल सिंदूर और लाल चोला तथा लड्डू का भोग चढाता है, महावीर हनुमान जी उसकी मनोकामना पूरी करते हैं ।।
रामसेवक गुप

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