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मर्यादा* *पुरुषोत्तम* *श्री* *राम* *जन्मोत्सव* — रामसेवक गुप्ता

चैत्र शुक्ल नवमी तिथि को अयोध्या धाम में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम जी का जन्म हुआ था,तब से सनातनियों को यह दिन उमंग, उत्साह और उत्सव के साथ भक्तिमय प्रतीत होता आ रहा है। भक्त गण बड़ी श्रद्धा, भक्ति और विश्वास के साथ राम देवालयों में जाकर अपने आराध्य का विधि-विधान से पूजा अर्चना करते हैं और मनोवांछित फल प्राप्त की मंगल कामना करते हैं।।
वैसे तो चैत्रीय नवरात्रि पर्व से ही सभी मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है, भक्ति भाव से देश ही नहीं विदेशों में नौ देवियों के जगराता और डांडिया की धूम गूंजती रहती है, तत्पश्चात नवमी तिथि को मां सिद्धिदात्री के पूजन के साथ, भगवान श्री राम जी का अवतरण दिवस बड़ी आस्था, निष्ठा से भारतीय इसे उत्सव के रुप में मनाते हैं।।
आध्यत्मिकता के केंद्र बिंदु भगवान श्री राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और माता सीता जी के त्याग और समर्पण से हमें नयी दिशा और प्रेरणा मिलती है।। अनेकों झंझावातों से जूझकर भी श्री राम जी ने मर्यादा नहीं त्यागी, अपितु एक साधारण मानव बनकर सांसारिक प्रपंचों से निवृत्त होकर मानव कल्याण हेतु एक मिसाल कायम की। भगवान विष्णु के अवतारी श्री राम जी हैं मगर उन्होंने कभी जाहिर नहीं किया कि मैं भगवान हूं, प्राणी मात्र हेतु वह हातिमताई रूप में अवतरित हुए,जब पृथ्वी पर भय,संकट,पाप चहुंओर व्याप्त था, भक्तों, दीन-दुखियों और ऋषि मुनियों की करुण पुकार सुनकर नारायण भगवान ने राम रुप में अवतार लिया और दशानन रावण,खर दूषण जैसे असुरों का वध किया।।
आज भारत देश में भय, भ्रष्टाचार, धम्रांधता और नकारात्मकता का माहौल है,जरुरत है हमें मर्यादा पुरुषोत्तम राम जी के आदर्शों पर चलकर एक नये भारत, रामराज्य की स्थापना करें।।
रामसेवक गुप्ता

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