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प्रभु के परम दर्शन का सही मार्ग — हसमुख बी. पटेल, ‘हर्ष’’परख’

 

इन्सान के साथ जब परिवार होता है तब जीवन खुशियों के मेले से भर जाता है।परिवार संग हर बार चौतरफा प्यार मिलता रहता है और जीवन में दुगुनी ऊर्जा प्राप्त होती है।जब इन्सान प्रभु का स्मरण अंदरूनी भावना और हौंसले के साथ करता है तब हर तरफ़ से सभी मनोरथ की तृप्ति का एहसास होता है और उसी वक्त मनमंदिर में संतुष्टि की एक शाश्वत धमाल उछलती है।

बिना वक्त गवाये आज से ही तू माधव नाम का भजन और गान शुरू कर दे।ख़ुद के अस्तित्व को भूलकर प्रभु के नाम का जयजयकार कुछ इस तरह से करना है जैसे पूर्णतया मस्तिष्क को ईश्वर के सामने नमाते हुए प्रभु को प्रियतम मानकर उनके लिए सब कुछ न्योछावर करना है जिस तरह मीरांबाई ने किया था। प्रभु से प्रार्थना करके सच्चे राह की खेवना करना है और इस तादात्म्य से ज़िन्दगी ख़ुद लज्जित होकर हर सवाल बंध कर देगी। मतलब है की जब ईश्वर के स्मरण और भक्ति से भगवान ख़ुद राह दिखाते है तब इन्सान के जीवन की हर बाधा, हर मुश्किल, हर सवाल अपनेआप अदृश्य हो जाते है। रह जाता है केवल भक्ति भाव।

अगर प्रभु भजन के बीच कोई रुकावट है तो उसे श्रद्धा के साथ पार करनी है। नाथ भक्ति के मार्ग में हर जो मुश्किल है, हर इक बाधा जो खड़ी है, धर्म को बदनाम करने वाले जो लोग खड़े है या दोषी लोग जो आप की भक्ति मार्ग में रोड़े डाल रहे है ऐसी हर विपदा को लांघना है। इस दीवार पार इन्सान के लिए एक अज्ञात अचानक मुक्ति विजयमाला लेकर खड़ी मिलेगी। वर्तमान युग में हर नकारात्मक भाव दुगुने और चौगुने बढ़ रहे है तब अपने भगवान से एक ही चीज़ माँगनी है और वह है सत्य ही आप की शक्ति बने। सच ही प्रभु के परम दर्शन का सही मार्ग है।सच्चे दिल से जब दो हाथ जोड़कर साफ़ हृदय के भाव से इन्सान प्रभु से जो कुछ भी माँगता है मिल जाता है।

जीवन की डगर पर चलते चलते आदमी को नए नए याम, आयाम और व्यायाम मिलते रहते है। एक बार प्रभु भजन का रास्ता मिल जाता है जब आदमी को मन के हर कोने से, मन की प्रफुल्लितता से अपने शरीर को भूलकर ईश्वर को अपने दर्शन देने के लिए हरदम हर एक युक्ति से बुलाते रहना है। वंदन के साथ की हुई प्रार्थना का यह बुलावा ही आखिरकार भगवान के साथ एकाकार होने की अंतिम साफल्य अवधि है।हर एक किताब जो आप के पास है, उपलब्ध सभी ग्रंथ जो आप के नजदीक है, भगवान की लीला और विविध प्रागट्य की जितनी पुस्तके है उस सब में जो जो लिखा है वह सब पढ़ो। यह सब पढ़ने के बाद इन्सान की विचारधारा खुदबखुद प्रभु के नजदीक जाती है। जीवन की हर आपाधापी छोड़कर शाश्वत शांति के लिए हृदय के अंतरतम हर्ष से प्रभु भक्ति में तल्लीन हो जाना ही एक मात्र और युगोयुगांतर का सच है।

हसमुख बी. पटेल, ‘हर्ष’’परख’

नारदीपुर – अहमदाबाद

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