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संक्षिप्त लेख:धीरज और शांति — पालजीभाई राठोड़ ‘प्रेम’

 

जीवन में सदा धैर्य और शांति रखने से ही हमारी उन्नति होती है। कभी भी परिस्थितियों में धैर्यावर समझदारी की आवश्यकता होती है किसी भी परिस्थिति में धैर्य को धारण करना है।जो इन्सान धीरज रख सकता है वह अपनी इच्छानुसार सब कुछ पा सकता है जहाँ प्रयत्नों की ऊंचाई अधिक होती है वहां नसीबों को भी झुकना पङता है। होता सब्र का फल मीठा आशा कभी न तोड़ना रखना रब पर विश्वास। कैसे भी ईम्मितहां हो नहीं तोड़ना आशा जीत हार का यही मंजर लाना नहीं हताशा। किसी भी समस्या का उकेल होता ही है।
वास्तविक जीवन और मुश्किलों मे संयम बनाये रखना है।दुःख परिस्थितियों से नहीं बल्कि गलत फ़हमीयों से पैदा होता है आज ईन्सान की ये हालत है वो आमदनी से नहीं बल्कि ज़रूरतों से ज्यादा दु:खी है। इसका एक ही उपाय है धीरज और शांति रखना। विवाद के समय खामोश रहना ही अच्छा है,क्योकि सबसे ज्यादा गुनाह इन्सान से जुबान ही करवाती है। विपरीत परिस्थितियों में समझदारी से काम लेना पड़ता है।इससे बेहतरीन सुधार होता है।जितना कठिन दौर से गुजरते हैं उतना ही हम मजबूत होते हैं और संघर्ष करने की भावना बढ़ती है हम जीवन में उन्नति कर लेते है। यह जीवन मुश्किलों से भरा है।समाज में कई तरह के लोग होता है।कुछ मददगार बनता है। कोई बिगड़ने में आनंद मानता है। इस परिस्थिति में किसी सज्जन व्यक्ति की सलाह लेना उसके अनुभव पर चलना सज्जनों का संग सदा शांति दायक होता है।
खुश रहना है तो अपनी जिंदगी के फैसले अपनी स्थिती और परिस्थिति को देखकर लें,दुनिया को देखकर जो फैसले लेते हैं, वो अक्सर दुःखी
ही रहते हैं।कभी कभी अपने लिये भी कुछ समय निकालिये और वो काम करिए जो आपको पसंद
हैं। जिनको करने से आपको खुशी मिलती है तभी आप प्रसन्न होकर सबको प्रसन्न रखेंगे।वक्त की एक आदत बहुत अच्छी है, जैसा भी हो गुजर जाता है,कामयाब इंसान खुश रहे ना रहे,खुश रहने वाला इंसान कामयाब जरूर हो जाता है संघर्ष करते हुए मत घबराना क्योंकि संघर्ष के दौरान ही इंसान अकेला होता है,सफलता के बाद तो सारी दुनिया साथ होती है,व्यर्थ का खर्चा जीवन की व्यवस्था को तथा व्यर्थ की चर्चा मन की अवस्था को प्रभावित करते है।अनुकूल और प्रतिकूल परिस्थितियां जीवन का हिस्सा कहलाती हैं परंतु उन परिस्थितियों में मुस्कुराते रहना जीवन जीने की कला कहलाती है।
एक उत्तम जीवन जीने के लिये अपने द्वारा पूर्व में की गई गलतियों पर पछताने की जगह उनसे सीखिये और वर्तमान में आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़िये तभी आप बिना डर के भविष्य में जीवन जी पायेंगे। श्रद्धा ज्ञान देती है,नम्रता मान देती है,योग्यता स्थान देती है,अगर तीनों मिल जाए
तो व्यक्ति को हर जगह सन्मान देते है।अहं भाव जिनकी नस नस में अंत समय पछताता है। सुख दुःख में सम भाव रखें जो जग में नाम कमाता है।अभिमान फरिश्तो को भी शैतान बना देता है,
और नम्रता साधारण व्यक्ति को भी फ़रिश्ता बना देता है ।

“मद माया मोह को छोड़ कर काम क्रोध लोभ मुख मोड़ कर,
चलना सत्य सनातन धर्म पथ पर स्नेह प्रेम संयम से बढ़ जीवन रथ पर।”

पालजीभाई राठोड़ ‘प्रेम’ सुरेंद्रनगर गुजरात

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