Uncategorized

आखिरी ट्रेन –( लघु कथा) —-डॉ संजीदा खानम शाहीन

 

बात उस वक्त की है जब कहकशां रानी छुट्टियों में अपनी नानी के यहां गई हुईं थी बहुत मौज मस्ती दसवीं कक्षा के इम्तिहान दिए थे । अब वो चेन्नई में सभी जगह घूमने पिकनिक मनाने गई
अपने ननिहाल वालों के साथ और
खूब मौज मस्ती की खाया पिया मनोरंजन सब कुछ बहुत अच्छा शानदार और फिर परिवार की बात ही निराली होती है ।परिवार के सदस्यों के साथ खुशी का मजा दुगुना हो जाता है
ऐसे समय का चक्र चलता जाता है ।
और फिर दिन बीतते गए ।करीब एक माह हो चुका था।
सबके साथ बहुत यादें बनाई और
वो दिन आ गया जब छुट्टियां बीत गई और वापसी घर को होने लगी सब पैकिंग पूरी होने के बाद विदा लीसबसे बिछड़ते हुए मन बहुत उदास हो रहा था लेकिन घर तो जाना ही था । अब घर से निकले ही थे कि अचानक बहुत तूफान ,आंधी आने लगी रास्ते सब ब्लॉक हो गए बेरीकेट लगे हुए और तेज बारिश शुरू हो गई ।ऑटो जिस रास्ते से गुजरे पानी ही पानी चारों तरफ रेलवे स्टेशन पहुंचना दूभर हो चुका था रिजर्वेशन हुआ था सीट भी वेटिंग में मिली बहुत
परेशानी और फिर वही हुआ जो नहीं होना चाहिए था ट्रेन छूट गई ।
और दूसरी ट्रेन दस घंटे बाद थी ।यह भी गजब का अनुभव था ।

डॉ संजीदा खानम शाहीन

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!