आत्मनिर्भर भारत में सैन्य शक्ति, नए भारत की पहचान है — पल्लवी राजू चौहान

हमारे नए भारत की नई उड़ान आम जनता के लिए एक बिन मांगे मिले वरदान की तरह है। आज हमारा भारत सैन्य हथियार, सुरक्षा उपकरण, तकनीकी सैन्य औजार उपकरण के के मामले में सिद्धस्थ हो चुका है। हमारे भारत ने स्वदेशी उत्पादन में बहुत वृद्धि की है। आज का आत्मनिर्भर भारत स्वयं अपने आप में इतना सक्षम है कि उसे किसी अन्य देशों की सहायता की आवश्यकता नहीं है।
पहले की अपेक्षा, भारत लड़ाकू विमान, ड्रोन, मिसाइलें और रक्षा प्रणाली स्वयं ही बनाने लगा है। उदाहरण तेजस लड़ाकू विमान, अर्जुन टैंक, आकाश मिसाइल प्रणाली और पृथ्वी मिसाइलें, आज के नए भारत की शक्ति का प्रतीक है।
आधुनिक तकनीक और डिजिटल प्रणाली: आज ऐसा युग आ गया है कि आज भारत साइबर वारफेयर, AI आधारित निगरानी प्रणाली और सेटेलाइट से नियंत्रित ड्रोन जैसे आधुनिक हथियार का मालिक है। पहले यह तकनीक सीमित या विदेशी स्रोतों पर निर्भर थी।
रक्षा निर्यात में बढ़त: आज भारत पहले की अपेक्षा अन्य देशों को भी उपकरण बेच रहा है। उदाहरण, ब्रह्मोस मिसाइल का निर्यात संभावित है।
अंतरराष्ट्रीय रक्षा साझेदारी: भारत ने अमेरिका, फ्रांस, रूस और इज़राइल जैसे देशों के साथ सैन्य तकनीकी समझौते किए हैं, जिससे इसे अत्याधुनिक तकनीकें मिली हैं।
निष्कर्ष:
भारत आज के इस युग में युद्ध के औजारों और रक्षा तकनीक के मामले में कई गुना अधिक मजबूत और आत्म निर्भर है। यही कारण है कि ऑपरेशन सिंदूर के युद्ध में तीन दिन के युद्ध में ही घुटनों पर आ बैठा था। इस युद्ध के दौरान भारत की ओर फैंकी गई सारी मिसाइलें, हवा में ही आधुनिक एस 400 तकनीक के माध्यम से हवा में ही ध्वस्त कर दिया था। पाकिस्तान के एक भी मिसाइल या ड्रोन भारत की पावन भूमि को छू नहीं सके थे। हवा में ही सारी मिसाइलों को ध्वस्त कर दिया गया था। यह हमारे नए भारत की नई पहचान है।
लेखिका: पल्लवी राजू चौहान
कांदिवली, मुंबई