बेटियाँ — माया शर्मा

आज राघव के घर फिर से चौथी बार बेटी ने जन्म लिया, ऑपरेशन थियेटर से बाहर निकलती नर्स ने बुझे मन से कहा-राघव जी आपकी पत्नि ने बेटी को जन्म दिया है।
राघव ने पूछा मेरी पत्नि कैसी है अब?
नर्स ने कहा वो अब ठीक है आप थोडी देर में उनसे मिल सकते है l
सुनकर राघव ने भगवान को धन्यवाद देने के लिए ऊपर हाथ उठाए और कहने लगा-भगवान आपका बहुत बहुत धन्यावाद ।
नर्स भी हैरान थी कि चौथी बार बेटी के होने पर कौन खुश होता है। राघव जल्दी से बाजार जाकर लड्डू ले आता है और सबको बांटने लगता है तभी उसका बड़ा भाई शेखर जिसके दो बेटे थे अस्पताल में आता है और कहता है- अरे पगले बेटी के होने पर कौन लड्डू बांटा करता है, बेटियाँ तो पिता को बोझ तले दबा देती है और एक दिन परायी होके ससुराल चली जाती है, बेटे बुढ़ापे की लाठी होते है और मौत के बाद चिता को अग्नि बेटे ही देते हैं। तेरी तो किस्मत ही फूट गयी चौथी बार बेटी ही हुई l
राघव कहने लगा भाई साहब देखना मेरी बेटियाँ मेरा और खानदान का नाम रोशन करेंगी।
बड़े भाई ने मुँह बनाते हुए अस्पताल से विदाई ली।
दिन बीते, बरस बीते चारो बेटियाँ ने मेहनत करके एक ऊँचा मुकाम हांसिल किया।
सबसे छोटी बेटी वकील उससे बड़ी इंजीनियर और उससे बड़ी डॉक्टर बन गयी सबसे बड़ी बेटी r a s ऑफिसर बनी। शेखर के दोनों बेटे बड़ी कम्पनी में थे, एक अमेरीका दूसरा लन्दन में सेटल हो चुका था, शेखर के पास पैसा तो बहुत था मगर पास बैठने और उसकी सेवा करने के लिए बेटे नहीं बल्कि किराये के नौकर-चाकर थे बस। एक दिन छोटे भाई के यहाँ आयोजित प्रोग्राम में जब शेखर पहुँचा तो आश्चर्य में पड़ गया l सूट पहने भाई और गहनों से लदी भाई की पत्नि को देख बोल पड़ा। अरे! ये कपड़े और जेवर कहाँ से चुरा कर ले आए।
तब r a s ऑफिसर बड़ी बेटी सामने आयी और बोली- ताऊजी जिनकी चारों बेटियाँ लाखों रुपये कमाती हो उनके माँ बाप किसी के चोरी नहीं करने जाते बल्कि भिखारियों को दान करते हैं। शेखर को जब पता चला कि छोटे भाई राघव की चारों बेटियाँ ऊंचा मुकाम पा चुकी है तो उसे अपनी छोटी सोंच पर पछतावा हुआ और माफी मांगते हुए बोला-भाई राघव मुझे माफ़ कर दे। जिन बेटों के होने पर मुझे घमंड था उन्हें तो मुझसे बात तक करने की फुर्सत नहीं वो क्या मेरी सेवा करेंगे।
मुझे नाज़ हो रहा है अपने भाई की इन चारों बेटियों पर जो अपना फर्ज निभा रहीं है ,एक बेटे की तरह।
माया शर्मा