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बहुरंगी दुनिया के बहुरंगी लोग — डॉ सरिता चौहान की कलम से

 

मैं जानती हूं बहना। सब समझते हैं।
यह दुनिया बहुरंगी है। यहां सभी प्रकार के लोग रहते हैं।
कहते कुछ और और करते कुछ और है।
केवल विचारों से लोगों की सहायता करते हैं।
असल में नहीं।
दिल से दिल से मैले और जुबान पर चिकनाहट।
सच बात कड़वी लगती है और झूठ में मिलावट।
सुनते हैं दुनिया में कुछ लोग अच्छे भी होते हैं।
पर उनसे मुलाकात नहीं होती। उनसेस तो सिर्फ खुदा की बात होती है।
वह आदमी नहीं फरिश्ते होते हैं।
जो अपने नहीं औरों के लिए जीते हैं।
जीना बस उसी का नाम है।
यह जिंदगी तो खुदा की अमानत है।
पता नहीं किस बात पर गुमान करते हो।
दूसरों के रूपए से अपने को मालामाल करते हो।
अन्न पानी खाकर इस धरती का
इस धरती पर ही बोझ बन जाते हैं।
सारे दिन दूसरों की कमियां निकाल खुद को महान समझ लेते हैं।
भरे हुए गुनाहों की संदूक लिए बैठे हैं और दूसरों को गुनहगार बताते हैं।
अपनी गुनाहों की तिजोरी खोलना ही भूल जाते हैं।
दूसरों की एक गलती पर उसे कदम कदम पर दोषी ठहराते हैं।
भूल जाते हैं कि देखने वाला ऊपर बैठा है।
तू अपने किरदार को कितना निभा रहा।
ऊपर जाने पर तुझे बताते हैं।
मत भूलो कि वक्त भी करवट बदलता है।
उसे वक्त वह किसी को नहीं बख्सता है।
दिल में आग और दरिया में पानी है।
यह समंदर भी कितना रूहानी है।
अगर किसी को मार दो तो क्या हुआ। बख्श
दो घर जान तो एहसान हुआ ।
बच भी सकता था कहीं तक जान का मारा हुआ।
बच नहीं सकता कभी एहसान का मारा हुआ।
जन्म लेते सब यही हैं।
सबको मिटाना है यहीं पर।
पर किसी के पांव रहते हैं जमीं पर
और कोई पर उड़ाता आसमां पर।
कह नहीं सकते किसी की हम कोई कहानी।
आजकल हर कोई अपनी कहानी कहता है अपनी जुबानी।
इसीलिए तो दुनिया मतलब की है।
अपने लिए ना सही औरों के लिए है।
डॉ सरिता चौहान प्रवक्ता हिंदी पीएम श्री अयोध्या दास राजकीय कन्या इंटर कालेज गोरखपुर उत्तर प्रदेश।

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