चमत्कार — बिमला रावत (ऋषिकेश )

यह घटना 1983 की है जब मैं, मेरी सहेली मीनाक्षी, उसका बड़ा भाई राजू और उनके किसी रिश्तेदार का बेटा अक्षय ने भगवान “नीलकंठ महादेव “के दर्शन का मन बनाया और हम चारों घरवालों की अनुमति लेकर पैदल पैदल चल पड़े l नीलकंठ मंदिर भगवान भोलेनाथ का एक प्रसिद्ध और पौराणिक मंदिर है l यह उत्तराखण्ड के पौड़ी जिले के यमकेश्वर विकास खण्ड में है जो ऋषिकेश से महज 25 -30किमी की दूरी पर स्थित
है l
आज यातायात के पर्याप्त साधन हैं उस सभी लोग घूमने या मंदिर दर्शन के लिए पैदल हो जाते थे l हम चारों भी सुबह ऋषिकेश से 9:00बजे के लगभग लक्ष्मणझूला पैदल मार्ग से भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए निकल पड़े l बारिश की हल्की हल्की बुँदे गिर रहीं थीं और हम 2:30बजे के लगभग मंदिर के प्रांगण में पहुंचे भगवान नीलकंठ के अच्छे से दर्शन किये l थोड़ा सुस्ताये, खाना खाया और घर के लिए निकल पड़े l
कुछ दूर चलने के बाद हम रास्ता भटक गए और घने जंगल में फंस गए, अब क्या करें रात गहराने लगी और हम डर के मारे जोर से रोने – चिल्लाने लगे और भगवान भोलेनाथ को मन ही मन याद करने लगे और विनती करने लगे -हे भोलेनाथ हमारी रक्षा करो l हम चलते जा रहे थे कि तभी एक बुजुर्ग से बाबा जी हमें दिखाई दिये हमारी जान में जान आई l उन बुजुर्ग बाबा ने पूछा कि इस घने जंगल में क्या कर रहे हो? हमने कहा -बाबा जी हम नीलकंठ मंदिर से दर्शन कर ऋषिकेश जा रहे हैं पर हम मार्ग भटक गए हैं l बाबा जी ने कहा बच्चों अब डरने की जरुरत नहीं है मैं तुमको सही मार्ग तक पंहुचा देता हूँ l हम चारों उनके साथ कदम से कदम मिलाकर चलने लगे और उन बाबा जी कृपा से हम घने जंगल से निकलकर सही मार्ग पर पहुंच गए l उन बुजुर्ग बाबा जी ने कहा अब तुम निश्चिन्त होकर अपने घर जाओ अब कोई भय नहीं है l उन बुजुर्ग बाबा जी कृपा से हम चारों सकुशल अपने घर लौट आये जहाँ घरवाले रात अधिक होने के कारण बाट जो रहे थे क्योंकि उस ज़माने में आज की तरह मोबाइल या फोन की सुविधा नहीं थी l
मुझे ये घटना आज भी किसी चमत्कार से कम नहीं लगती है, यदि उस दिन बुजुर्ग बाबा जी हमें ना मिले होते तो शायद हम पूरी रात जंगल में ही भटकते रहते l ये सोचकर आज भी मेरी रूह काँप जाती है l हमें सच्चे मन से अदृश्य सत्ता पर विश्वास करना चाहिए और उनकी सत्ता को स्वीकारना चाहिए l
बिमला रावत (ऋषिकेश )
उत्तराखण्ड