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चुप रहना ठीक है क्योंकि आयोजक हमारा अच्छा है !!

 

जो देख कर चुप रहते हैं शायद वो अच्छे बना रहना चाहते हैं,
नंबर बनाने के खेल में कभी पड़े नहीं, हम मौके पर ही गलत को गलत कहते हैं !
चुप रहना ठीक है क्योंकि आयोजक हमारा अच्छा है !!

बहुत कार्यक्रम देखे, जहांँ मंच संचालक असभ्य , मौके का सत्यानाशी होता है ,
आयोजक जितने प्यार से आमंत्रण देता, उसकी उतनी ही नैया डुबोता है !
चुप रहना ठीक है क्योंकि आयोजक हमारा अच्छा है !!

भाई भतीजावाद हर जगह छाया हुआ, यहाँ पर भी रंग दिखाता है,
अपना जानकार चाहे जितनी देर से आए, उसको मंच पर पहले बुलाता है !
चुप रहना ठीक है क्योंकि आयोजक हमारा अच्छा है !!

वरिष्ठता के नाम पर कुछ धृष्ट लोग बड़ा अत्याचार करते है,
पांच की जगह पंद्रह मिनट जबरदस्ती लेना अपना अधिकार समझते हैं !
चुप रहना ठीक है क्योंकि आयोजक हमारा अच्छा है

घिसी पिटी 2-3 रचनाएं सुनाकर मारते हैं बड़ी बड़ी डींग,
अपना सम्मान होते ही ऐसे गायब होते जैसे गधे के सर पे सींग !
चुप रहना ठीक है क्योंकि आयोजक हमारा अच्छा है !!

हम जैसे नौसिखिए कवि आयोजक को अपनी सिफारिश लड़वाते हैं,
बड़ी मुश्किल से एकाध फोटो खिंचवा कर चाय के साथ समोसा खाते हैं !
चुप रहना ठीक है क्योंकि आयोजक हमारा अच्छा है !!

बैठे रहते हैं काव्य की धुन में मगन होके जैसे पिनक में बैठा होता चरसी,
जब मंच पर नंबर आता, रह जाते थका आयोजक, चार कवि और 20-25 खाली कुर्सी !
चुप रहना ठीक है क्योंकि आयोजक हमारा अच्छा है !!
पवन मल्होत्रा एडवोकेट
संयोजक
कशिश काव्य मंच

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