द्वादश ज्योतिर्लिंग महिमा काव्य ग्रन्थ ने रचा इतिहास, लन्दन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में हुआ शामिल

जयपुर।सनातन संस्कृति की गौरवगाथा को समर्पित काव्य ग्रंथ ‘द्वादश ज्योतिर्लिंग महिमा’ को लंदन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया गया है। यह उपलब्धि भारतीय साहित्य जगत और आध्यात्मिक चेतना के लिए अत्यंत गौरव का विषय है। इस ऐतिहासिक काव्य ग्रंथ का कुशल संपादन वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. राजीव कुमार पाण्डेय (गाजियाबाद) एवं देश के शीर्षस्थ गीतकार डॉ. ओंकार त्रिपाठी (दिल्ली) द्वारा किया गया है। यह ग्रंथ शब्द सृजन संस्थान (दिल्ली-एनसीआर) की पंजीकृत साहित्यिक संस्था के तत्वावधान में प्रकाशित हुआ है।
द्वादश ज्योतिर्लिंग महिमा’ में देशभर के 58 प्रतिष्ठित कवि-कवयित्रियों ने भाग लिया है। सभी रचनाकारों को द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक-एक पर आधारित विषय प्रदान कर कविता लेखन हेतु प्रेरित किया गया। 125 पृष्ठों के इस ग्रंथ में इन सभी कवियों की रचनाएँ समाहित हैं, जिनमें वरिष्ठ साहित्यकार ज्ञानवती सक्सैना ‘ज्ञान’ (जयपुर) द्वारा महाकाल उज्जैन पर लिखी गई कविता विशेष रूप से उल्लेखनीय है। ग्रंथ की विशेषता यह है कि द्वादश ज्योतिर्लिंगों पर आधारित कविताएँ एक साथ किसी एक पुस्तक में पहली बार इस रूप में प्रस्तुत की गई हैं। यह ग्रंथ धार्मिक साहित्य प्रेमियों की जिज्ञासाओं की पूर्ति करने वाला एक अनुपम दस्तावेज बनकर उभरा है। इस उपलब्धि पर देश के कोने-कोने से शुभकामनाएँ संपादक द्वय को प्राप्त हो रही हैं। साथ ही इस रिकॉर्ड में सम्मिलित सभी रचनाकारों का भी सम्मान बढ़ा है। ज्ञात हो कि डॉ. राजीव कुमार पाण्डेय और डॉ. ओंकार त्रिपाठी इससे पूर्व भी ऐतिहासिक कार्य कर चुके हैं।
इनके संपादन में प्रकाशित भारत के भारत रत्न’ को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड भारत के अशोक चक्र विजेता’ को इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में शामिल किया जा चुका है। साथ ही इनकी कालजयी रचना ‘भारत के इक्कीस परमवीर’ का उड़िया अनुवाद भी हो चुका है। इस सफलता में शब्द सृजन संस्थान के राष्ट्रीय पदाधिकारियों का भी अहम योगदान रहा, जिनमें राजकुमार छापड़िया (उपाध्यक्ष) बृज माहिर (सचिव) गार्गी कौशिक (कोषाध्यक्ष) का विशेष उल्लेख किया गया है। यह काव्य ग्रंथ सनातन धर्म और भारतीय साहित्य को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने में एक मजबूत कड़ी साबित हुआ है।