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हकीकत ए जिंदगी — माया शर्मा

 

जी हां किसी के काम में खामियां निकालना आसान होता है लेकिन ख़ुद उसी के लिए कितने जिम्मेदार हैं ये कोई नहीं स्वीकारना चाहता। इसलिए खुद को आइने के सामने खड़ा कीजिए और फ़िर खुद को जांचिए कि आप कैसे हैं । किसी अच्छी बात पर हंसिए खूब हंसिए मगर किसी इंसान या उसकी बातों पर मत हंसिए। किसी का अपमान करना किसी की मजाक बनाना भी एक तरह का पाप ही होता है। कुछ लोगों का कम है हमेशा दूसरों की बाते बनाना, उनका मखौल उड़ाना।क्या उन लोगों से कभी कोई गलती नहीं होती।इंसान हैं तो गलतियां करना भी लाज़मी है।म किसी पर आसानी से हँस देते हैं उसकी मज़ाक बना देते हैं मगर उसकी मनोस्थित को महसूस करना शायद हर किसी के बस की बात नहीं।आप किसी की शारीरिक बनावट उसके रंग उसकी भाषा उसके बोलने के तरीके का मज़ाक न बनाए। ईश्वर ने हर किसी को अलग अलग खूबियों से नवाज़ा है। सब में कुछ ना कुछ अच्छाइयां और थोड़ी बहुत खामियां होती ही है इसलिए अगर किसी से कोई गलती हो भी जाए तो उसको सबके सामने बोलने से अच्छा है एकांत में समझाए।

माया शर्मा/लेखिका

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