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हमारी संस्कृति और विज्ञान – उर्मिला पाण्डेय ‘उर्मि

हमारी संस्कृति और विज्ञान में अटूट संबंध है। हमारे ऋषियों मुनियों ने हमारी सभ्यता संस्कृति पर पहले वल दिया क्योंकि हमारी संस्कृति विश्व में सर्वश्रेष्ठ और पूजनीय है।
हमारे यहां हमारी संस्कृति में तुलसी के पौधे को बहुत पूजनीय माना जाता है क्योंकि विज्ञान के अनुसार तुलसी का पौधा अनेक बीमारियों से हमें बचाता है सर्दी में तो तुलसी का अर्क सर्दी जुखाम के लिए रामबाण इलाज है। इतने गुण विद्यमान होने के कारण ऋषियों ने इसे आध्यात्म से जोड़ा वैसे कोई इसकी पूजा और घरों में नहीं लगाता। आध्यात्म से जुड़ने के कारण तुलसी को घरों घरों में लगाया गया।
पीपल का वृक्ष कहते हैं कि घर में नहीं लगाना चाहिए। पीपल वृक्ष ही विज्ञान के अनुसार एक ऐसा वृक्ष है जो दिन रात आक्सीजन देता है। इस कारण ही ऋषियों मुनियों ने पूजनीय बताया और इसे आध्यात्म से जोड़ा जिससे पीपल वृक्ष अधिकतर लगाया जाय। कहते हैं कि पीपल के वृक्ष के ऊपर तीनों देवता निवास करते हैं।इसे घर में नहीं लगाना चाहिए। ऐसी बात नहीं है पीपल के वृक्ष की जड़ें इतनी गहरी और दूर दूर तक फैलीं होतीं हैं कि घर में लगाने पर घर की दीवारों की नींव चटक जाएंगी इस कारण घर में नहीं लगाया जाता।
कहते हैं कि मेंहदी का पेड़ घर में नहीं लगाना चाहिए भूत प्रेत आते हैं नहीं ऐसा नहीं है मेंहदी का पेड़ बहुत शीतलता प्रदान करता है इसलिए उसके नीचे सांप बिच्छू आदि बैठे रहते हैं इस कारण घर में नहीं लगाना चाहिए।
कहते हैं कि कांटे दार पौधे घर में नहीं लगाना चाहिए यमराज का निवास होता है, ऐसा बिल्कुल नहीं है वैज्ञानिक कारण है कि कांटेदार पौधे में कभी कभार हमारे हाथ पांवों में चोट लग सकती है। छोटे छोटे बच्चे यदि इनके पास चले जाएंगे तो उनके चोट लग सकती है। इसलिए घर में नहीं लगाना चाहिए।
हमारे ऋषियों मुनियों ने कहा कि सुबह-सुबह नहाने धोने के बाद ही रसोई और पूजाघर में जाना चाहिए और रसोई में और पूजा घर में जब भी जाय तब हाथ पैर धोकर साफ कर के ही जाय, हमारी दादी नानी माताजी कहतीं थीं कि ऐसा न करने से भगवान गुस्सा हो जाते हैं हमारे ऋषियों ने नित्यकर्म को आध्यात्म से जोड़ दिया। ऐसी कोई बात नहीं है भगवान का नाम चाहे जब भी लो लेकिन वैज्ञानिक कारण है कि जब हम सोकर सुबह-सुबह उठते हैं तो हमारे शरीर में बहुत सी गंदगी होती है गंदे हाथों से हम खाद्यान्न छुएंगे तो वह दूषित हो जाएगा खाने पर हमें अनेक प्रकार की बीमारियां देगा।
इस कारण सुबह-सुबह नहा-धोकर ही रसोई घर में जाय और हमेशा ही हवा के द्वारा हमारे हाथ पांवों में गंदगी लग जाती है जब भी भगवान के पास और रसोई में जाओ तब हाथ पैर धोकर साफ कर के ही जाओ तो शरीर स्वस्थ रहेगा।
कहते हैं कि बरसात में नदियों में स्नान नहीं करना चाहिए। नदियां रजस्वला होतीं है। ऐसी कोई बात नहीं वैज्ञानिक कारण है कि बरसात के समय में नदियों में जल अधिक होने के कारण और बरसात में बाढ़ आने के कारण कोई भी नदी में डूब सकता है।
इस कारण नदियों में बरसात में नहीं नहाना चाहिए।
उर्मिला पाण्डेय ‘उर्मि,कवयित्री मैनपुरी उत्तर प्रदेश।

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