Uncategorized

जनरेशन गैप आखिर क्यों — रश्मि मृदुलिका

 

वर्तमान समय में नयी और पुरानी पीढ़ी के बीच विचारों का सामंजस्य नहीं बैठ पा रहा है दोनों पीढ़ी एक दूसरे की भावनाओं को समझने में नाकाम है फलस्वरुप परिवार में एक असंतुष्टि का भाव है इस असंतुष्टि का प्रभाव समाज पर सीधे तौर पर पड़ता है, क्योंकि एक खुशहाल परिवार एक खुशहाल समाज की नींव है ,लेकिन जब परिवारों के बीच मानसिक तनाव और वैमनस्य का भाव होगा ,तो समाज में भी एक तनाव उत्पन्न होगा ,सोचने वाली बात यह है कि यह सब परिस्थितियां क्यों उत्पन्न हुई ,कहीं ना कहीं नई और पुरानी पीढ़ी के बीच विचारों का तालमेल नहीं है इसे ही जेनरेशन गैप कहते हैं, आखिर यह जेनरेशन गैप आया तो क्यों आया, शायद इसके पीछे मुख्य कारण पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव, नैतिक मूल्यों का हास प्रमुख है पाश्चात्य संस्कृति में एकल परिवार होते हैं जहां पति पत्नी और उनके बच्चे होते हैं दादा-दादी, चाचा- चाची, बुआ आदि संबंध दूर ही रहते हैं जिससे सहयोग, प्यार जैसी भावनाओं का जन्म नहीं हो पाता है, अब सब अपने आप में सिमट गए हैं, इस दूरी को अंग्रेजी शिक्षा ने और मजबूत बनाया है, बच्चों में एक दूसरे के साथ सहयोग करने की भावना नहीं है इसलिए वह एक दूसरे के साथ समझौता नहीं करना चाहते ,वह फास्ट लाइफ चाहते हैं सब कुछ जल्दी से जल्दी मिल जाए, त्योहार, संस्कृति ,रीति रिवाज जो संयुक्त परिवार में बनते थे |वह एकाकी परिवार में नहीं हो पाती, इसलिए वर्तमान पीढ़ी परिवार के महत्व को नहीं समझ रही है |उन्हें अपने घर के बुजुर्ग और माता-पिता के विचार दकियानूसी लगते हैं मोबाइल के युग में नई पीढ़ी पुरानी पीढ़ी को को छोड़ रही है उन्हें लगता है कि वह उनकी दौड़ को रोक रहे हैं |वहीं पुरानी पीढ़ी को लगता है कि नई पीढ़ी कुछ ज्यादा ही आधुनिक हो गई है वह उनका सम्मान नहीं कर रही है| इसलिए वह हर बात पर टोका टाकी करते हैं उनका मकसद नई पीढ़ी को अपनी परंपराओं से अवगत कराना होता है लेकिन नई पीढ़ी को लगता है कि उनकी आजादी छीन ली जा रही है कहीं ना कहीं दोनों पीढ़ी के बीच विचारों का तालमेल नहीं बैठ पाता|
कभी-कभी यह जेनरेशन गैप एक दुखद स्थिति में पहुंच जाता है| पुरानी पीढ़ी अपने आप में सिमट जाती है| एक ओर नया उन्हें अपनी तरफ खींचता है वहीं पुरानी संस्कृति उन्हें आगे नहीं जाने देती, जिस कारण परिवार में उनकी स्थिति दयनीय हो जाती है |उनके अपने बच्चे उन्हें अपने साथ शामिल नहीं करना चाहते| पुरानी पीढ़ी सिर्फ मुख दर्शक बने रहते हैं घर पर कब क्या हो रहा है इसका उन्हें कुछ पता नहीं चलता और न ही उनसे सलाह मशवरा लिया जाता है| यदि वह स्वयं से ही सलाह देने की कोशिश करें तो उन्हें चुप करा दिया जाता है| और वह अपना सा मुहं लेकर रह जाते हैं,
अब बात आती है ,जेनरेशन गैप कैसे खत्म किया जाए |उपाय एक ही है कि नई पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी एक-एक कदम आगे बढ़ाएं ,पुरानी पीढ़ी नई पीढ़ी के विचारों को समझे और एक मित्र की तरह उनका साथ देते हुए अपनी परंपराओं और संस्कृति से उन्हें अवगत कराये| नयी पीढ़ी भी अपने घर के बड़ों का सम्मान करें,कुछ देर उनके साथ बैठकर उनकी बातें सुने| वास्तव में, बच्चों में संस्कार नैतिक शिक्षा देने का दायित्व माता-पिता का ही होता है |इसलिए स्वयं को आधुनिकता की दौड़ से बचाए रखकर अपने बच्चों में रिश्तों के बीच प्यार और सहयोग की भावनाओं को बनाने में सहयोग दें, उन्हें अपने जन्मभूमि, रिश्तेदारों से मिलाये, बच्चे जब अपनी मिट्टी से जुड़े रहेंगे तभी वह अपने रिश्तों से भी जुड़े रहेंगे, वास्तव में इस जेनरेशन गैप को पाटना हमारे हाथ में है|बस, थोड़ा सा विश्वास और धैर्य के साथ प्रयास करने की आवश्यकता है|हालांकि कठिन है लेकिन शायद असंभव नहीं है, अपनी जिंदगी को अपने अनुसार खुशहाल और संतुष्ट होकर जीएँ,

रश्मि मृदुलिका
देहरादून उत्तराखण्ड

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!