लघु कहानी – माॅ की ममता — रश्मि अग्रवाल

रोहित अपनी माँ और पत्नी के साथ शहर में दो कमरे के फ्लैट में रहता था । रोहित की पत्नी कल्पना कोअपनी सास का रहना बिल्कुल नहीं भाता था । वह चाहती थी कि माँ गांव चली जाएँ, गांव में एक मकान था पर रहने वाला कोई नहीं था । वो रात – दिन माँ के खिलाफ रोहित के कान भरती रहती थी । रोहित भी सुनते – सुनते घबड़ा गया था ।उसने सोचा जरूर माँ उसकी पत्नी को तंग करती होगीं, तभी वह माँ के खिलाफ ऐसा बोलती है वह बार-बार अपनी माँ को कहता , आप अपने काम से मतलब रखिए । क्यों आप मेरी पत्नी को परेशान करती हैं ? माँ क्या बोलती, बस रो के रह जातीं ।पर पत्नी का शिकायत का सिलसिला चलता रहा । एक दिन रोहित ने माँ से कह दिया ।आज मंगलवार है रविवार को मैं आपको गाँव पहुँचा दूँगा । आप वहीं रहिए यही ठीक रहेगा । माँ बेचारी आँसू बहाती रहीं ।
शाम को रोहित ऑफिस से घर आया तो उसकी तबियत ठीक नहीं थी ।उसका शरीर बुखार से तप रहा था । आते ही बिस्तर पर लेट गया ।उसने कल्पना को पुकारा , माँ ने बताया कल्पना किटी पार्टी में गई है । माँ ने जब देखा बेटा बुखार से तप रहा है तो दौड़ कर वो कटोरे में पानी ले कर कर आई और बेटे के सर पर
ठण्डे पानी मे भिगो कर पट्टियाँ रखने लगीं । रोहित को सिर में बहुत तेज दर्द था । रोहित ने कई बार कल्पना को फोन किया पर कल्पना थोड़ी देर में आती हूँ यही कहती रही । माँ ने डॉ० को फोन किया । थर्मामीटर से बुखार देखा तो घबड़ा गई 103 डिग्री बुखार था । डॉ० आए बोले इन्हें तो बहुत तेज़ बुखार है इनको अच्छा किया आपने माथे पर पट्टी लगा कर । दवा देता हूँ । पहले कुछ हल्का खिला कर तब दवा दीजिएगा । ठीक हो जाएगा । रोहित को माँ ने चाय – ब्रेड दिया, दवा खिलाई और पास बैठ कर सिर दबाने लगीं ।
रोहित आँख बद कर सोचने लगा । #माँ_की_ममता यही होती है। जिस माँ को वह रविवार को गाँव छोड़ने जाने वाला था, वही माँ आज जी – जान से उसकी सेवा कर रही हैं । उसे अपने ऊपर शर्म आ रहा था । वो बहुत ग्लानि महसूस कर रहा था । आज उसे माँ की ममता का बोध हो गया ।
उसने माँ से क्षमा माँगी । माँ ने बेटे को गले से लगा लिया । पार्टी समाप्त होने पर कल्पना रात को दस बजे घर पहुँची । रोहित ने उससे स्पष्टतः कह दिया माँ कहीं नहीं जाएँगी । यहीं रहेंगी आज से मैं माँ के खिलाफ बात नहीं सुनूँगा । मेरी माँ की तुम्हे सेवा करनी होगी । माँ की आँखों में खुशी के आँसू थे । आज अपनी ममता लुटाने हेतु उनका बेटा उन्हें वापस मिल गया था ।
डॉ० रश्मि अग्रवाल ‘रत्न’