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माँ की ममता — सुनीता तिवारी

माँ मैं बड़ा हो गया हूँ मुझे अपने
आप टाई लगाने दीजिये।
जानती हूँ श्याम,तू बड़ा हो गया है
लेकिन रहेगा तो मेरा छोटू ही न।
चलो जल्दी से खाना खाओ मैं थाली लगाती हूँ।
ये इतना सारा मुझसे नहीं खाया जाएगा माँ।
विद्यालय में पढ़ाई कैसे कर पायेगा,दिमाग कम खाये चलेगा क्या?
अच्छे से दूध घी खाया कर।
भगवान की दया से सब कुछ है अपने पास।
और कोई है ही नहीं जिसे खिलाऊँ।
तेरे पापा पहले ही साथ छोड़ गये तू नखरे करता है सभी चीजों को खाने में।
माँ तेरी ममता के आगे हार जाता हूँ इतने तर्क दे देती हो कि बीमार भी खा ले।
सुनकर माँ चूल्हे पर चढ़ी पतीली को देखने लगी और श्याम भोजन में मस्त हो गया।
सुनीता तिवारी