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मजदूर — महेन्द्र कुमार सिन्हा

मजदूर शब्द ही अपने आप में बहुत मजबूत लगता है।मजदूर किसी के आगे भीख माँगने के लिए मोहताज नहीं है। मजदूर अपनी कड़ी मेहनत, अथक परिश्रम कर अपना परिवार पालता है।हर बड़ी से बड़ी निर्माण में मजदूर का ही हाथ होता है।मजदूर अपनी श्रम बल से अपनी रोजी-रोटी कमाता है।श्रमिक का श्रम बल ही उनकी असली पूँजी है।
मजदूर दिन रात ची तोड़ मेहनत कर सुख चैन के साथ निवाला खाता है।
पहले मजदूर मजबूर हो जाता था,पर अब के समय में मजदूर मजबूर नहीं मजबूत है।
मजदूर के बिना देश का विकास असंभव ही है।देश के विकास में मजदूरों की बहुत बड़ा योगदान है।
अतः हमें मजदूरों का उचित सम्मान करना चाहिए। इसीलिए मजदूरो के सम्मान के सम्मान के लिए एक मई को मजदूर दिवस मनाते है।