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मतलब की दुनिया — डॉ सरिता चौहान

 

यह मतलब की दुनिया हमारे किस काम की।
यह तो सिर्फ मेरे नाम की है ।नाम की है।
जब तक मेरी हथेलियां में जान है और उंगलियों में निशान है।
पांवों में रुनझुन है और हाथों में मेहंदी है।
होठों पर मुस्कान है और आंखों में काजल है।
जिंदगी रस भरी गागर है और अधरों पर प्यार का सागर है।
तो सब पूछते हैं और सब जानते हैं।
जरा उदास सी हो जाए जिंदगी तो चेहरे पर नकाब डाल लेते हैं।
पहचान वाले भी बिना पहचान के हो जाते हैं।
इंसान बनने का तब सिर्फ दिखावा ही रह जाता है।
हनुमान बनाकर पास कोई नहीं आता है।
यही है दुनिया का असली दस्तूर और कड़वा सच।
जो दुनिया वालों को हजम नहीं होती है।
बड़े-बड़े भाषण देते और सलीके सीखते हैं।
जब मरहम लगाना होता है तो नमक छिड़क जाते हैं।
दर्द किसी और को हो रहा है उनका क्या जाता है।
हर दर्द की दवा सिर्फ दवा खाना ही नहीं।
दिल का दरिया भी होता है जो समंदर की आगको पानी बना देता है।
कहते हैं कि बंदर के पास हृदय नहीं होता है।
इसलिए वह डाल-डाल कूदता है पर मानव से सच्चा है।
मानव तो उसका बच्चा है।
कहते हैं हनुमान जी ने सच्ची प्रीत निभाई।
राम सिया को हृदय में बसाई।
सिया को राम की और राम जी को सिया की सुधि दे आई।
पर तूने क्या किया मानव।
आज हृदय में बसाए, कल गले से लगाए।
परसो ब्याह कर ले आए।
दो बच्चे होने के बाद
कन्हाई बनने की कोशिश में लंका पति की तरफ दौड़ लगाई।
नहीं जानी कन्हाई की महिमा, व्यर्थ में जीवन गवांई।
ना बने राम ना बने रावण।
यही तो है आज का मानव।
साफ-साफ शब्दों में कहें तो दानव।
झूठ लफ्जों में कहें तो मानव।
स्वरचित
डॉ सरिता चौहान प्रवक्ता हिंदी पीएम श्री एडी राजकीय कन्या इंटर कॉलेज गोरखपुर उत्तर प्रदेश।

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