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मज़दूर दिवस – मज़दूर समाज की नींव और संघर्ष की कहानी –शिक्षाविद् एवं अधिवक्ता दीपक शर्मा

 

एक मज़दूर जो अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए हर दिन कड़ी मेहनत करता है । वह सुबह से शाम तक काम करता, लेकिन उसके पास अपने परिवार के लिए समय नहीं था। एक दिन, उसने सोचा “आठ घंटे काम ,आठ घंटे आराम ,और आठ घंटे मनोरंजन ,”
इसी सोच के साथ उसने औद्योगिक दुनिया में कार्य समय तय करने की दिशा बदल दी ।
कि वह अपने अधिकारों के लिए लड़ना चाहता है।
मज़दूर दिवस, जिसे मई दिवस के रूप में भी जाना जाता है, विश्वभर में मज़दूरों के अधिकारों और उनकी कड़ी मेहनत को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। यह दिन मज़दूरों के संघर्ष और उनकी उपलब्धियों को याद दिलाता है।
*भारतीय मज़दूर और मज़दूर दिवस*
भारत में मज़दूर दिवस का महत्व बहुत अधिक है। यहाँ के मज़दूरों ने अपने अधिकारों के लिए लंबी लड़ाई लड़ी है। मज़दूर दिवस के अवसर पर, हम भारतीय मज़दूरों की कड़ी मेहनत और उनके योगदान को सम्मानित करते हैं।
विश्व मज़दूर दिवस का संदेश है कि मज़दूरों के अधिकारों का सम्मान किया जाना चाहिए और उनकी कड़ी मेहनत को पहचाना जाना चाहिए। यह दिन हमें मज़दूरों के प्रति सहानुभूति और समर्थन दिखाने का अवसर प्रदान करता है।
मज़दूर दिवस एक महत्वपूर्ण दिन है जो मज़दूरों के अधिकारों और उनकी कड़ी मेहनत को सम्मानित करता है। मज़दूरों की कहानी हमें उनके संघर्ष और उपलब्धियों को याद दिलाती है। हमें मज़दूरों के प्रति सहानुभूति और समर्थन दिखाना चाहिए और उनके अधिकारों का सम्मान करना चाहिए।
वो हर इक सफल व्यक्ति के पीछे विकसित समाज और राष्ट्र की नींव रखने में मज़दूर का सबसे अधिक महत्व है जैसे भारत में 95 प्रतिशत लोग मज़दूर परिवार से संबंध रखते हैं मेरे विचार से हर व्यक्ति कभी ना कभी किसी न किसी मज़दूर के परिवार से आता है जैसे मेरे पिताजी ने सदा मज़दूरी कर आज समाज के लिए हमारा 1 शिक्षित व्यक्ति के रूप में निर्माण किया है।
क़लम से -शिक्षाविद् एवं अधिवक्ता दीपक शर्मा

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