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पहलगाम की चीख — सुनीता तिवारी

 

लबाईस अप्रैल बीस सौ पच्चीस को पहलगाम में पाकिस्तानी आतंकियों द्वारा धर्म पूछकर की गई छब्बीस सैलानियों की नृशंस हत्या से देश दुखी हो गया।
आतंकियों ने पहले धर्म पूछा हिन्दू बोलते ही बीबी के सामने सत्ताईस वर्षीय ऑफिसर की हत्या कर दी।
बीबियों के सामने उनके पति को मार दिया।
बोले जाओ और मोदी को बताओ।
तुरंत ही उच्च स्तर पर रूपरेखा बनी,सभी धर्म के लोग बदले की मांग करने लगे।मोदी जी तुरंत अपनी सऊदी अरब की यात्रा को छोड़ कर आ गए।
सभी सेना प्रमुखों के साथ विचार विमर्श किया।
दर्दनाक मौत की आवाजें और नव विवाहिता विधवा की सिसकियां उनके कानों में गूंज रही थी।
उन्होंने कहा कि किसी आतंकी को छोड़ा नहीं जायेगा,हम बदला लेंगे ऐसा बदला जिसकी कल्पना भी दुष्ट देश ने न की होगी।
तुरंत आपरेशन सिंदूर बनाकर अंजाम देने में जुट गए और पाकिस्तान मैं सौ किलोमीटर घुस कर आतंक वादियों के ट्रेनिंग कैंप नष्ट कर दिए।
एक ही आतंकी के घर से चौदह जनाजे निकले।
पाकिस्तान की सेना स्वयं आतंकवादियों से मिली हुई थी।
सभी बड़े फौजी अफसर आतंकी के जनाजे में कलमा पढ़ते दिखे।
अब पाकिस्तान पूरा ही बर्बाद हो गया और खुद भी ड्रोन तलवार बंदूक आदि इकठ्ठे करके भारतीय शहरों पर हमले करने लगा।
भारत की तकनीक और सैन्य अधिकारियों ने ड्रोन, मिसाइल आदि सब फेल कर दिए।
अब बदला स्थगित कर दिया गया है आलाकमान की देश को लेकर क्या मजबूरियां है आम आदमी को पता नहीं है सभी कयास लगा रहे हैं लेकिन इन चार दिनों में जो शहीद हुए उनके लिए समस्त जनता को दुख है।

सुनीता तिवारी

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