संस्मरण — वो रेडियो का जमाना – रमेश शर्मा

सन साठ से सत्तर के दशक में जब टेलीविजन हिन्दोस्तान में नहीं आया था। उस समय रेडियो भी अपने आप में लक्जरी हुआ करता था। समाचार और संगीत तथा विविध भारती के कार्यक्रम दिल को लुभाने वाले हुआ करते थे।
सन चौहत्तर में मैं छटी कथा में पढ़ता था और वेस्ट इंडीज टीम क्लाइव लायड के नेतृत्व में भारत दौरे पर आई हुई थी। उसमें सभी धुरंधर बेट्समेन और बालर थे जिनसे दुनिया की सारी टीम कांपती थीं। हमारी टीम के कप्तान नवाब पटोदी हुआ करते थे और भारत के पास बिशन सिंह बेदी, प्रसन्ना, चंद्र शेखर और वेंकट राघवन स्पिनर की चौकड़ी थी। यह श्रंखला बहुत रोचक हुई। हमारे चाचाजी के पास रेडियो था जो बिजली से चलता था और दो मिनट गरम होने के पश्चात चालू होता था।
सीलोन पर अमीन साहनी साहब की जादू भरी आवाज में बिनाका गीत माला सुनने के लिए सभी बेताब रहते थे।
साथ ही विश्वनीय खबरों के लिए सब बीबीसी को सुनते थे। क्या जमाना था रेडियो के विविध कार्यक्रमों के जरिये कला और संगीत के साथ साथ देशभर की राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक विषयों की जानकारी प्राप्त होती थी। देश में सकारात्मक ऊर्जा का रेडियो के माध्यम से संचार होता था।
उस समय रेडियो सभी देशवासियों के जीवन का अभिन्न अंग होता था।
रमेश शर्मा