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सोचें कनिका लेख… “स्री” — नरेंद्र त्रिवेदी

 

स्री शब्द छोटा लगता है, लेकिन अगर वह माँ, बहन, फाई, चाची या मामी के बीचके संबंधों के परिप्रेक्ष्य में देखे तो उसकी विशालता अपार दिखाई देती है। अगर शब्द को सही तरीके से समझा जाता है तो स्री शब्द की प्राप्ति और गहराई दिखाई देती है, समझ मे आती है, महसूस होती है। यदि एक स्री को एक माँ के रूप में देखा जाता है, तो यह प्रत्येक क्षेत्र में हर चरित्र में होता है फिर वो स्री कोई भी रूप में हो। माँ के गुणों, प्यार, क्रोध की भावना एक एकल चरित्र या संबंध के बारे में सोचते है मगर स्री शब्द तो सबके लिए समान है उसके रूप अलग अलग होता हैं।ओर स्वरूप के साथ गुण ओर भावनाये बदलती रहती है। मगर स्री मे माँ का स्वरूप उत्तम ओर हर पहेलुसे पूजनीय होता है।

हम स्री सन्मान के बारे में बात करते हैं, लेकिन ज़्यादातर टीवी धारावाहिकों में, एक स्री कावाड़ा, बाधाएं, परेशानी या दर्दनाक मौके किसी अन्य स्री के लिए विपरित स्थितियों का निर्माण करती है। स्री को कहीं न कही स्री की दुश्मन ओर दावपेच खेलती दिखाई जाती है। मेरी राय में न केवल पुरूष को ही स्री का सन्मान करना चाहिए लेकिन दूसरी स्री को भी स्री के सन्मान का आदान प्रदान करना चाहिए तभी कोई भी स्री की समाजमे सन्मानित स्थिति बन पाएगी।

देवो के देव महादेव टीवी सीरियल में भगवान शिवने कहा है की स्री प्रकृति स्वरूप है और पूर्णता के लिए मनुष्य और प्रकृति को एकजुट होना आवश्यक है। यहाँ बात यह है कि हम अनजाने में प्रकृतिका दुरूपयोग कर रहे हैं जो हमारे लिए एक भयानक नुकसान कारक हो सकता हैं और इसे नष्ट भी कर रहे हैं। कुछ क्षेत्रों में व्यवहार अच्छा है। तब ऐसा लगता है कि एक स्री की गरिमा का सन्मान हो रहा है।

बस एक बार यह बात सोचें कि अगर प्रभु फैसला करता है कि मैं एक स्री को प्रकृति को वापस ले जाना चाहता हूं। अगर ऐसा होता है तो पृथ्वी पर शून्यता उत्पन्न हो जाएगी। जैसे बिना सूर्य उजाला शक्य नही है वैसे ही बिना स्री मानव जीवन भी शक्य नही है। मेरा मानना ​​है की हर आदमी को स्री/ प्रकृति के रूप में सेवन करने की आवश्यकता होती है …. यह एक सोचने लायक बात है। अगर ऐसा होता है तो मुझे लगता है की इसे आसानी से समझा जाएगा। स्री/ प्रकृतिकी मूल्यता पहचानी जाएगी ओर स्री सन्मान में एक नया पहलू उजागर होगा, नए अध्याय की शुरुआत होगी।

11 मे मातृदिन है आज हम सपथ ले की माँ की ममताकी इज्जत करेंगे और हर बुज़र्ग स्री को माँ का स्थान देकर वंदन करेंगे।

नरेंद्र त्रिवेदी।(भावनगर-गुजरात)

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