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तुम संग जीवन — दीपांजली शर्मा की कलम से

 

तुम चलते रहना साथ मेरे,
चाहे कुछ भी न कहना।
नज़रों की चुप सहमति भर,
हर प्रश्न मेरा तुम सह लेना।।

ना वादे हों, ना कसमें हों,
ना कोई ज़रूरत भाषण की।
तुम बस हाथ थामे रहना,
आवाज़ नहीं, एहसासों की।।

जब वक़्त बिखेरे सन्नाटा,
हर ओर उदासी छा जाए।
तब तुम बस यूं मुस्काना,
मन पुष्प सरीखे खिल जाए।

तुम मेरे दिन का सूरज हो ,
तुम मुझको उजियारा दो।
रातों के भय में साथ रहो,
सपनों में इक किनारा दो।।

तुम कोई अलंकार नहीं,
ना उपमा, ना रूपक हो।
तुम जीवन की वो सादगी,
जो मौन में भी सुंदर हो।।

बस एक यही आग्रह मेरा
जब तक सांसें हैं ,इस तन में,
तुम रहो संग मेरे प्रिये,
हर क्षण, हर जीवन, हर मन में।।

दीपांजली शर्मा
बीसोखोर कटहरी बाज़ार महाराजगंज

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