विश्व पर्यावरण दिवस पर शिक्षाविद् दीपक शर्मा का संदेश – प्रकृति के साथ सामंजस्य हमारा उत्तरदायित्व।

जयपुर, 5 जून 2025।
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर देशभर में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसी क्रम में शिक्षाविद् एवं अधिवक्ता दीपक शर्मा ने जनसमुदाय को संबोधित करते हुए पर्यावरण के संरक्षण की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि “प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाना ही आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है और यह हम सबका सामूहिक उत्तरदायित्व है। दीपक शर्मा ने अपने प्रेरणादायक संदेश में कहा कि विश्व पर्यावरण दिवस केवल उत्सव मनाने का नहीं, बल्कि आत्मचिंतन और संकल्प लेने का दिन है। हमें यह समझना होगा कि प्रकृति के बिना हमारा अस्तित्व ही असंभव है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण केवल पेड़-पौधों या नदियों तक सीमित नहीं, बल्कि सम्पूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र – हवा, जल, मिट्टी, जीव-जंतु और मानव – का परस्पर जुड़ा ताना-बाना है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र द्वारा 1972 में प्रारंभ किए गए पर्यावरण दिवस के उद्देश्य को रेखांकित करते हुए कहा कि यह दिन वनों की कटाई, जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और जैव विविधता जैसे मुद्दों की ओर ध्यान खींचता है।
दीपक शर्मा ने आज की पर्यावरणीय स्थिति को दयनीय बताते हुए कहा कि वनों की अंधाधुंध कटाई, जल, वायु व भूमि प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग और जैव प्रजातियों का विलुप्त होना एक गंभीर संकट है और इसका मूल कारण मानव का लालच और लापरवाही है।
उन्होंने इस चुनौती से निपटने के लिए स्कूली बच्चों, महिलाओं, कर्मचारियों, किसानों, मजदूरों, नेताओं, अधिकारियों और हर वर्ग के लोगों को जोड़ने की बात कही।
दीपक शर्मा ने आमजन को पर्यावरण संरक्षण के लिए जीवनशैली में परिवर्तन लाने का आह्वान किया। उन्होंने सुझाए कुछ व्यावहारिक कदम।
अधिक से अधिक वृक्षारोपण और उनकी देखभाल, प्लास्टिक का कम उपयोग और पुन: प्रयोग, जल और ऊर्जा की बचत, सार्वजनिक परिवहन या पैदल चलने की आदत,
जैविक खेती और प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग , बच्चों और युवाओं में पर्यावरणीय चेतना का प्रसार.
अंत में दीपक शर्मा ने भावुक अपील करते हुए कहा कि यदि हमने आज सजगता नहीं दिखाई, तो भविष्य की पीढ़ियाँ केवल किताबों में ही स्वच्छ नदियों और हरे-भरे वनों की तस्वीरें देख पाएँगी। उन्होंने सभी नागरिकों से संकल्प लेने की अपील की कि हम अपने जीवन में ऐसे बदलाव लाएँ जो पर्यावरण के हित में हों और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुंदर, स्वच्छ और सुरक्षित पृथ्वी छोड़ कर जाएँ।
उनकी प्रेरणास्पद पंक्तियाँ थीं
पेड़ लगाएं पृथ्वी बचाएं।
प्रकृति और जीवन से प्रेम करें।