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योगासन करिए – गीत (विष्णु छंद) – जगदीश कौर

 

रोज सुबह उठ सभी आज से , योगासन करिए।
सफल सुखद एक नवल पहल सी, जीवन में धरिए।।

सुख शांति का यह दरवाजा, विदेश में जा खुला।
इस के कारण अब जीवन में , माधुर्य रंग घुला।।
विश्व करे अब भारती विजय, पैर धरा धरिए ।
रोज सुबह उठ सभी आज से , योगासन करिए।।

तन -मन से इस पूंजी का अब,तुम विस्तार करो।
निर्बल सोचो को अब तज कर, जगत प्रचार करो।।
विजय पताका लहराकर अब, उदाहरण बनिए।
रोज सुबह उठ सभी आज से , योगासन करिए।।

चित विचार से सभी स्वस्थ हो, ऐसी हो इच्छा।
जन मानस की अब यह पुकार, दे घर -घर शिक्षा।।
ऐसा साधो मन – तन को तुम, बोलो से बचिए।
रोज सुबह उठ सभी आज से , योगासन करिए।।

भारत की अनुपम थाती अब, सब मिल सर झुकाए।
योग दीप से रोग मिटे फिर,जीवन महकाएं।।
सूरज की किरणों संग उठो, पाठ सहज पढ़िए।
रोज सुबह उठ सभी आज से , योगासन करिए।।
जगदीश कौर प्रयागराज

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