आलेख – माँ का संवेदन : मेरी दृष्टि में, — डॉ० रश्मि अग्रवाल ‘रत्न’

आलेख – माँ का संवेदन : मेरी दृष्टि में, — डॉ० रश्मि अग्रवाल ‘रत्न’
#माँ_का_संवेदनः_मेरी_दृष्टि_में इस पर यह कहा जा सकता है कि माँ प्रेम, संवेदना और ममत्व की पराकाष्ठा हैं । माँ शब्द में संपूर्ण सृष्टि का बोध होता है । माँ शब्द में आत्मीयता और मिठास छुपी हुई होती है , जो अन्य किसी शब्दों में नहीं है । माँ नाम से बोध होता है संवेदना, भावना और अहसास का ।
मातृत्व की छाया में माँ अपने बच्चे को सहेजती है और आवश्यकता पड़ने पर उनका सहारा बन जाती है । एक बच्चे की सही परवरिश करने में माँ को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, पर वह हर दुख तकलीफ सहन कर लेती है ।
वस्तुतः माँ जीवन के फूलों में निहित खुशबू का वास है । शिशु अपनी माँ के तन की खुशबू से माँ को पहचान लेता है। गर्भावस्था में माँ शिशु से संवेदनात्मक संबंध स्थापित कर लेती है । उसका संवेदन मन शिशु की सुरक्षा से जुड़ा होता है । वह गर्भस्थ स्थित अपने शिशु से बातें करती है । शिशु भी माँ के गर्भ में ही पैर चला कर अपने होने का बोध कराता रहता है । इस अहसास से माँ बेहद खुश होती है कि उसके प्रेम का स्वरूप अब साकार रूप लेने वाला है । वह दिन रात अपने शिशु में ही मग्न रहती है । तभी तो माँ को ममता का सागर कहा जाता है ।
माँ की जगह दुनिया में कोई नहीं ले सकता । माँ के बिना जीवन सृष्टि नहीं, माँ जननी है । दुख में भी वो हँसती रहती है । धैर्य, ममता और देवी स्वरूप माँ की महिमा अनंत है । बच्चों का दुख उन्हें द्रवित कर संवेदनशील बना देता है । जब तक बच्चे कष्ट से मुक्त नहीं हो जाते वह चिंतित रहती हैं । निरन्तर सेवा करती रहती हैं। रात – रात भर जाग कर देखभाल करती हैं।
बच्चों के भविष्य की चिंता माँ को सबसे ज्यादा होती है । बच्चों को मिले यश -सम्मान से वो खुद को गौरवान्वित समझती है ।
आज संतानों को भी माता, पिता का ध्यान रखते हुए उनकी सेवा करनी चाहिए । कुछ संतान माँ, पिता को बोझ मानते हुए इन्हें वृद्धाश्रम या सड़क किनारे छोड़ आते हैं । वो भूल जाते हैं कि कभी उनके साथ भी उनका बेटा यही व्यवहार करेगा । उनके बुढ़ापे की लाठी न बन कर वो भी उन्हें वृद्धाश्रम में छोड़ कर आएगा । कारण यही है कि उनका बेटा आज प्रत्यक्षदर्शी है ।
संवेदनशील माँ सदा वंदनीय होती हैं । वो नहीं होतीं तो आज हम न होते । आज जो कुछ भी हमने अर्जित किया है, वो माँ की अनन्य सेवा उनके दिए ज्ञान और उनके सिखाए सत्य के मार्ग पर चल कर ही प्राप्त किया है ।
डॉ० रश्मि अग्रवाल ‘रत्न’