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अंतर्मन एक आत्मीय यात्रा — अनामिका दूबे निधि

 

भूमिका
मनुष्य का अस्तित्व केवल उसकी शारीरिक संरचना तक सीमित नहीं होता। शरीर एक बाह्य आवरण है, जबकि हमारे विचार, भावनाएँ और आत्मचेतना उस आंतरिक आयाम का हिस्सा हैं जिसे हम “अंतर्मन” कहते हैं। अंतर्मन एक रहस्यमय, गूढ़ और जटिल क्षेत्र है, जहां हमारे सबसे गहरे विचार, अनुभूतियाँ, इच्छाएँ और डर छिपे होते हैं। यह लेख अंतर्मन की प्रकृति, इसकी भूमिका, प्रभाव और इसके साथ जुड़ने के तरीकों की विवेचना करेगा।

 

अंतर्मन की प्रकृति
अंतर्मन को अक्सर चेतन और अचेतन मन के बीच की एक कड़ी के रूप में देखा जाता है। यह वह स्थान है जहाँ हमारी बचपन की यादें, अवचेतन में जमी मान्यताएँ, संस्कार, और आस्थाएँ संगृहीत रहती हैं। फ्रायड ने मानसिक संरचना को तीन भागों में बाँटा — इड (Id), ईगो (Ego) और सुपरईगो (Superego)। इनमें से ‘इड’ और ‘सुपरईगो’ को हम अंतर्मन से जोड़ सकते हैं।

अंतर्मन, हमारी चेतना से भले ही दूर हो, परंतु हमारे कार्यों, निर्णयों और प्रतिक्रियाओं को गहराई से प्रभावित करता है। जब हम किसी बात पर बिना सोचे प्रतिक्रिया देते हैं, या कोई सपना देखते हैं जिसका कोई स्पष्ट कारण नहीं होता, तब अक्सर अंतर्मन ही सक्रिय होता है।

 

अंतर्मन की भूमिका

1. निर्णय लेने में प्रभाव
हम सोचते हैं कि हम तर्क के आधार पर निर्णय लेते हैं, लेकिन अधिकांश निर्णय अंतर्मन में जमी भावनाओं, अनुभवों और पूर्वग्रहों के आधार पर लिए जाते हैं।

2. स्वप्नों का स्रोत
अंतर्मन हमारे सपनों का निर्माता है। सपनों के माध्यम से वह हमारे भीतर की दबी भावनाओं, चिंताओं या इच्छाओं को अभिव्यक्त करता है।

3. सृजनात्मकता का केंद्र
लेखन, चित्रकला, संगीत या अन्य कलात्मक अभिव्यक्तियाँ अंतर्मन की गहराई से उत्पन्न होती हैं। जब हम किसी प्रेरणा से अचानक कुछ रचते हैं, तब वह प्रेरणा अक्सर हमारे अंतर्मन से आती है।

4. स्वास्थ्य पर प्रभाव
मनोवैज्ञानिक शोध बताते हैं कि हमारी मानसिक स्थिति और अवचेतन में छिपे भावनात्मक घाव, शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डाल सकते हैं। कुछ बीमारियाँ, विशेषकर मानसिक और साइकोसोमैटिक, अंतर्मन की उपेक्षा का परिणाम होती हैं।

 

अंतर्मन से जुड़ाव के उपाय

1. ध्यान (Meditation)
ध्यान के माध्यम से मन शांत होता है और धीरे-धीरे हम अंतर्मन की गहराई तक पहुँच सकते हैं। ध्यान अंतर्मन की आवाज़ को सुनने और समझने का श्रेष्ठ माध्यम है।

2. स्व-विश्लेषण (Self-Reflection)
हर दिन कुछ समय स्वयं के साथ बिताना, आत्मनिरीक्षण करना, अपने विचारों और व्यवहारों का अवलोकन करना, अंतर्मन की समझ को विकसित करता है।

3. स्वप्नों की व्याख्या
सपनों को नजरअंदाज करने के बजाय उन्हें समझने की कोशिश करें। वे अक्सर अंतर्मन की ओर से भेजे गए संकेत होते हैं।

4. लेखन (Journaling)
अपने अनुभवों, भावनाओं और विचारों को लिखना एक ऐसा अभ्यास है जो अंतर्मन से संवाद को प्रोत्साहित करता है।

अंतर्मन और आत्मा का संबंध

भारतीय दर्शन में अंतर्मन को आत्मा का दर्पण माना गया है। उपनिषदों में कहा गया है — “यथा पिंडे तथा ब्रह्मांडे”, अर्थात् जैसा हमारे भीतर है वैसा ही बाहरी संसार है। अंतर्मन का अध्ययन हमें आत्मा की ओर ले जाता है — उस परम तत्व की ओर जो नित्य, शुद्ध और बुद्ध स्वरूप है।

 

निष्कर्ष
अंतर्मन केवल एक मानसिक संरचना नहीं, बल्कि आत्मविकास और आत्मज्ञान की यात्रा का केंद्र है। जो व्यक्ति अपने अंतर्मन को समझता है, वह न केवल स्वयं के साथ सामंजस्य स्थापित कर पाता है, बल्कि समाज, प्रकृति और ईश्वर के साथ भी एक गहरा संबंध अनुभव करता है। आज के भागदौड़ भरे युग में, जब बाहरी शोर बहुत बढ़ गया है, अंतर्मन की शांति हमें मानसिक संतुलन, रचनात्मकता और आत्मबोध की राह दिखा सकती है।

अतः आइए, हम सब अपने अंतर्मन की ओर एक आत्मीय यात्रा शुरू करें
क्योंकि वहीं छिपा है हमारा असली ‘स्व’।

अनामिका दूबे निधि

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