बनीपार्क में शिव-पार्वती विवाह प्रसंग से गुंजायमान हुआ वातावरण श्री शिव महापुराण कथा में उमड़ा श्रद्धा, भक्ति और उल्लास का अद्भुत संगम

जयपुर, 29 जून। कांति चंद रोड, बनीपार्क स्थित कथा पांडाल में चल रही श्री शिव महापुराण कथा के चौथे दिवस का आयोजन अत्यंत श्रद्धा, भक्ति और उल्लास के साथ संपन्न हुआ। व्यासपीठ से पूज्य संतोष सागर महाराज ने सती चरित्र, माता पार्वती का जन्म एवं भगवान शिव और पार्वती विवाह प्रसंग का अत्यंत भावपूर्ण व सजीव वर्णन प्रस्तुत किया।
महाराज ने अपने दिव्य प्रवचन में कहा कि आत्मा का परमात्मा से मिलन ही शिव में लीन होना है। शिव वैराग्य, योग और भक्ति के प्रतीक हैं । गृहस्थ जीवन में रहते हुए भी शिव की तरह साधना, समर्पण और धर्म का पालन किया जा सकता है।
कथा के दौरान भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह महोत्सव का दृश्य अत्यंत हर्ष और उल्लास से मनाया गया। भक्तगण विवाह के प्रतीकात्मक आयोजन में झूम उठे। भगवान शिव की बारात भव्य स्वागत के साथ पहुंची, जिसमें वर पक्ष का नेतृत्व रवि प्रकाश सैनी और वधू पक्ष का संचालन मनोज पंसारी ने किया। विवाह के सभी पारंपरिक संस्कार प्रतीकात्मक रूप से किए गए। कथा पांडाल “हर हर महादेव” के जयघोषों से गुंजायमान हो गया और श्रोताओं ने भजनों पर नृत्य कर शिव विवाह की आनंदमयी छटा को जीवंत कर दिया।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक कैलाश , विश्व हिंदू परिषद के संगठन मंत्री राजा राम योगगुरु ढाका राम, जयपुर हैरिटेज नगर निगम की मेयर कुसुम यादव, पूर्व चेयरमैन अजय यादव, गौसेवक भगवती चौधरी तथा माहेश्वरी समाज के प्रतिष्ठित नागरिक उमेश सोनी, प्रमोद हुरकट, प्रकाश माहेश्वरी, श्री राम कोड़िया, चंद्रप्रकाश खंडेलवाल, गिर्राज नाटाणी, चेतन कुमावत, त्रिलोक खंडेलवाल, दीपक गोयल, हरीश बागड़ी, शिव थिरानी आदि उपस्थित रहे।
*विविधता में एकता का संदेश*
संतोष सागर महाराज ने शिव परिवार के विभिन्न वाहन—नंदी, शेर, मूषक, मोर—का उल्लेख करते हुए कहा कि ये जीवन में विविधताओं के साथ सहिष्णुता व समरसता का संदेश देते हैं। मछुआरे और मछली की कथा द्वारा यह समझाया गया कि ईश्वर से दूरी ही दुखों की जड़ है, जबकि ईश्वर से जुड़ाव ही सच्चा सुख देता है।
कार्यक्रम में श्री शिव महापुराण कथा समिति के पदाधिकारी, कार्यकर्ता व सैकड़ों श्रद्धालुजन भी उपस्थित रहे जिन्होंने कथा श्रवण का पुण्य लाभ प्राप्त किया।
आगामी प्रमुख प्रसंग:
30 जून: गंगा अवतरण, समुद्र मंथन, अर्धनारीश्वर कथा
1 जुलाई: कार्तिकेय जन्म, गणपति जन्म उत्सव
2 जुलाई: दुर्वासा, हनुमान, भैरव अवतार, जलंधर वध, तुलसी विवाह
3 जुलाई: द्वादश ज्योतिर्लिंग प्राकट्य
4 जुलाई: शिव भक्त चरित्र, महामृत्युंजय व पंचाक्षर मंत्र की महिमा, शिव साधना प्रसंगअरुण खटोड़, महामंत्री
श्री शिव महापुराण कथा समिति, जयपुर