डिजिटल डिटाक्स तकनीकी अवसाद से कैसे बचें? — सुनीता तिवारी

आज के युग में सभी इंसान तकनीक पर निर्भर हो गए हैं।
नए नए आविष्कार प्रतिदिन होते रहते हैं सबका जीवन बहुत सुविधाओं में बीत रहा है।
सभी के हाथों में सदा मोबाइल दिखता है यहाँ तक कि भोजन करते वक्त भी मोबाइल साथ में पास में होता है।
भोजन करते समय टी वी देखना,गाने सुनना, सीरियल देखना आम बात हो गयी है।
इन सब कारणों से अपनों से बात नहीं हो पाती न मुहल्ले पड़ोसियों के दुख,सुख पता लगते हैं।
अपने बड़े बुजुर्ग भी बच्चों के साथ बात करने को तरस जाते हैं।
इन सभी बातों से और ज्यादा तकनीक के प्रयोग से इंसान में रूखा पन आने लगता है वह खुलकर हंस भी नहीं पाता क्योंकि उसे आगे के काम दिमाग में बने रहते हैं।
प्रत्येक इंसान को अपने जीवन के प्रति
सही लक्ष्य और समय सारिणी बनाना चाहिए।
जिसके अनुसार वह योग ध्यान,व्यायाम,प्राणायाम भी करे और डिजिटल अवसाद से दूर रहे।
एक सी जिंदगी से बोरियत होने लगती है थोड़ा हटकर खुली हवा में घूमना,प्रकृति से जुड़ना,नदी किनारे टहलना आदि करने से जीवन ताज़गी से भर जाता है।
कभी कहीं बाहर घूमने का प्रोग्राम बनाये,मंदिर जाएं,बड़ों के अनुभवों का आंनद लें कुछ उनसे सीखें।
और इन इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से दूरी बनाएं।
इस तरह से अपने डिजिटल डिटॉस्क और तकनीकी अवसाद से बचें।
सुनीता तिवारी