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जीवन हेतु आधार है योग — सीमा शर्मा” तमन्ना”  नोएडा उत्तर प्रदेश

 

आज के आधुनिक युग के औधौगिक एवं तकनीकी के क्षेत्र में जितना प्रगतिशील बनाया है। वहीं उसने सम्पूर्ण मानव जाति का भी मशीनीकरण करके रख दिया। न रातों की नींद न दिन का चैन । किंतु कब तक इस सभी का परिणाम अशांति, क्रोध,आपसी द्वेष एवं अलगाव। और इन सबसे निजात पाने के लिए सुकून और शांति की खोज के लिए वह पहाड़ों की ओर निकल पड़ता है। अब सवाल यह उठता है कि ! इस समस्या से जूझने वालों की संख्या आखिर कितनी है……?? और हमें यह जानकर हैरानी होगी कि , लगभग जनसंख्या का 80% हमारा मानव समाज जिसमें शायद हम भी शामिल हो इस समस्या से पीड़ित है। अब जरा सोचिए कि सभी अपनी मानसिक थकान को दूर करने के लिए यदि पहाड़ों की तरफ निकल पड़े प्रकृति के साथ अपना समन्वय स्थापित करने हेतु। क्या यह संभव है कि आप वहां 10 दिन रहें , 15 दिन रहें या महीना भर ही रहें । किंतु! उसके पश्चात तो अपने वापस लौट कर इसी माहौल में आना है तो फिर क्या ………??
क्या वास्तव में प्रकृति के साथ अपनी देश स्थापित कर पाया क्या वह उसे वह सुकून मिल पाया………??? इसका उत्तर सिर्फ नहीं है क्योंकि विचारों का टकराव हमारे भीतर भी है और बाहर भी ।

*आज की भागदौड़ भरी दिनचर्या उपलब्ध सुख सुविधाएं एवं उनके दुष्कर परिणाम*
हमने अपनी योग्यता अनुसार दुनिया भर की भौतिक शुभ सुविधा तो अपने सामर्थ्य अनुसार अर्जित कर लिए। किंतु उसके बाद भी हमें किसी सुख या आनंद की प्राप्त नहीं हो
पा रही है। क्या आप जानते हैं कि इसका कारण क्या
है…..??इसका एक मात्र कारण है हमारी अंतर दौड़ जिसने हमें शारीरिक रूप से थकाकर रख दिया है साथ ही हमारी मानसिक रुप से भी विचलित एवं प्रभावित किया है।

इन सबसे बचने के लिए हम सभी को एक समाधान खोजने व उसे अपने जीवन में लागू करने की परमआवश्यकता है। इसके लिए हमें न तो रुपए पैसे खर्च करने की आवश्यकता है और न ही कोई भारी भरकम प्रयास करने की और न ही कहीं दूर जाने की अपितु,यदिआवश्यकता है तो सिर्फ एक दृढ़ संकल्प की ……! और वह संकल्प है …..
योग ।
*आत्ममंथन हेतु श्रेयष्कर उपाय है* योगकहते हैं कि एक स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है। यह केवल एक उक्ति मात्र ही नहीं अपितु इसमें योग का समस्त सार छुपा है। हमारे विचारों में स्पष्टता रहे, संतोष एवं शांति अनुभव हो। आंतरिक सुरक्षा एवं स्वतंत्रता हो ये सभी हमारे जीवन का महत्वपूर्ण आधार हैं।
वर्तमान में अनियमित दिनचर्या के चलते हर वक्त हमारे मन मस्तिष्क पर दवाब बना रहता है। अपने परिवेश के चारों ओर के विचारों का दवाब ऐसे में एकाग्रता बनाकर किसी भी समस्या को सुलझाना एक चुनौती बनकर रह जाता है हमारे तनावपूर्ण जीवन शैली को प्रमाणित करता है। कुछ समय पश्चात की समस्या एक विकराल रूप धारण कर लेती है क्योंकि ऐसे लोगों का सिंपेथेटिक व पैरासिंमपेथेटिक नर्वस सिस्टम पूर्णतः सही रुप से अपना कार्य नहीं कर पाता।
ऐसे में मित्रों योग हमारे लिए दुआ, उपचार, मित्र व
वरदान सभी रुपों में हमारे लिए लाभकारी सिद्ध होता है। क्योंकि जब हम योग करते हैं तो वह अवस्था शांत होती है
हम अपना ध्यान कुछ देर के लिए एकाग्र करते हैं शुरुआत में
नहीं लगेगा किंतु जैसे जैसे अभ्यास में आएगा तो हमारी रुचि योग के प्रति बनेगी । ध्यान में मन लगेगा और एकाग्रता से हमें
मानसिक एवं शारीरिक शक्ति एवं ऊर्जा दोनों मिलेंगी ।

*योग का जीवन में महत्व* योग हमें शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखती है बहुत मदद करता हैं। आपातकालीन स्थितियों से उपजने वाली परिस्थितियों में हमारी हृदय गति संतुलित रहती है, हमारा पाचन तंत्र सही रहता है। तनावपूर्ण स्थितियों से निकलकर हम उचित प्रतिक्रिया देने में भी सक्षम हो जाते हैं।
योग अभ्यास से हमारे शरीर में यूरोट्रांसमीटर्स,गाबा सेरोटोनिन और डोपामाइन हार्मोन को भी संतुलित मात्रा में
बनाए रखने में मदद मिलती है। क्या आप जानते हैं ये हार्मोंन्स
हमारे शरीर में प्राकृतिक रूप से एंटी डिप्रेशन दवाईयों का काम करते हैं। जबकि इसका एक और लाभ यह कि यह हमारे मेलाटोनिन हार्मोन को भी संतुलित करता है जो हमारी नींद के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
*योग दिवस एक महत्वपूर्ण पहल* हमारे देश के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने योग की अद्भुत शक्ति क्षमता एवं आवश्यकता को अनुभव करते हुए 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में घोषित किया
आज योग पारिवारिक सामाजिक एवं राष्ट्रीय स्तर पर नहीं अपितु वैश्विक स्तर पर लाभकारी परिणामो का सशक्त प्रमाण है। यह कोई एक दिन हेतु व्रत या त्योहार नहीं जिसको केवल एक दिन मनाकर या करके छोड़ दिया जाए या भूला दिया जाए। न ही कोई जोर जबरदस्ती का सौदा की आपको डंडे के जोर पर करना ही है। यदि आपको अपने जीवन से प्रेम है तो उसके प्रति कुछ कर्तव्य हैं सुख और शांति दोस्तों बाजारों में नहीं बिका करती चाहे आप कितने ही रईस क्यों न हो। क्योंकि
पैसा न आपकी हृदय गति रुकने से रोक सकता न ही आपकी सांसें बढ़ा सकता फिर क्यों पैसे के पीछे भागना। क्यों अपने मन में मलिक विचारों को दावत देना। परिस्थितियों से क्यों भागना। हमारा जीवन हमारा शरीर वह स्वस्थ रहे उसमें व्याप्त हमारा ढ़ाई सौ ग्राम का मस्तिष्क स्वस्थ रहे। सभी स्वस्थ एवं प्रसन्न रहें।

*स्वस्थ शरीर और निर्मल चित्त
मधु वाणी ,स्वच्छ ,श्रेष्ठ व्यवहार
नियमित नियंत्रित आहार विहार
एकमात्र योग आधार व उपचार।*
सब होगा और यह सब योग से होगा प्रत्येक दिन भोजन में नमक और चीनी की ही भांति ही योग को शामिल कीजिए।

सीमा शर्मा” तमन्ना”
नोएडा उत्तर प्रदेश

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