लेख …”कामयाबी” — नरेंद्र त्रिवेदी

`हम होंग कामयाब ‘यह एक जुनून सबमे होता है, जिससे सफलता प्राप्त करने के लिए पूरा आत्मविश्वास सामने आता है। हरेक व्यक्ति सफलता प्राप्त करना चाहती है, चाहे वह एक खेल प्रतियोगिता, व्यवसाय, नौकरी का प्रचार या सामाजिक क्षेत्र, राजनीतिक क्षेत्र में हो; सब एक उच्च स्थिति प्राप्त करने के इच्छुक होते है। सफलता लक्ष्य की उपलब्धि है, निर्धारित लक्ष्य तक पहुंचना, या वांछित के रूप में उच्चतम शिखर तक पहुंचना हरेक की मनोकामना होती है।
सामाजिक प्रणाली ऐसी है कि लोग एक सफल व्यक्ति की सफलता को देखते हैं। कोई भी उसके पीछे उसका संघर्ष नहीं देखता या नहीं पूछता। यदि हम दुनिया के इतिहास को देखे तो एक सफल व्यक्ति कठिन परिस्थिति से गुजरा हुआ होता है, चाहे वो महान वैज्ञानिक अल्बर्ट इस्टिन, मैडम क्यूरी या किसी अन्य वैज्ञानिक या किसी क्षेत्र में सफल व्यक्ति हो। किसी भी व्यवसायी या एक उच्च स्थिति हो। हम जानते हैं कि अक्सर एक वैज्ञानिक या किसी और ने सफलता के लिए पूरी जिंदगी दांव पर बिताई है, सफल होने के लिए। लेकिन ऐसे ही सफल नहीं मिलती है। उसके लिए धैर्य, परिश्रम, सदाचार और कुछ हद तक मनमे द्रढ़ता होना आवश्यक है। कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई व्यक्ति कितना बुद्धिमान है, अगर स्थिति उसके पक्ष में नहीं है तो वह सफल नहीं होता है;चाहे वो कितना भी बुद्धिमान क्यूँ न हो।
एक बार जब कोई व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में सफल हो जाता है, तो उसकी गलतियाँ नगण्य हो जाती हैं। उस दृष्टांत जैसी स्थिति बन जाती है … “राजा कभी गलत नही होते” और यही कारण है कि हर व्यक्ति सफल होने का सपना देखता है। सफलता के दो पहलू हैं। सकारात्मक पहलू और नकारात्मक पहलू। सकारात्मक पहलू किसी को भी चोट नहीं पहुंचाता है ओर सफल होता है। नकारात्मकता मतलब यह नहीं है कि यह एक व्यक्ति के साथ कोई व्यक्तिगत प्रतिस्पर्धा या प्रतिस्पर्धा नहीं है। हरेक पहलू में स्पर्धा तो होती है।जब एक नकारात्मक व्यक्ति सफल होता है, तो दूसरा व्यक्ति उस व्यक्ति के खिलाफ विफल हो जाता है। यह बात राजनीति और खेल में अधिक सामान्य है।
अंत में, मैं इतना ही कहूंगा की ‘हम होंगे कामयाब’ बोलना आसान है पर ऐसे ही कोई कामयाब नहीं होता है। एक व्यवस्थित योजना और उचित दिशा के साथ आगे बढ़ना आवश्यक है। बस इसके बाद ….कामयाबी व्यक्ति की मुट्ठी में बंध हो जाएगी।
नरेंद्र त्रिवेदी- (भावनगर-गुजरात)