संक्षिप्त लेख :नईं सिख – पालजीभाई राठोड़ ‘प्रेम’

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सत्य से मीठा दुनिया में कोई फल नही झूठ कितना भी बोलो उसका कोई कल नहीं हर सुबह एक नई सीख दे जाते है जो सच के साथ चले वही जीवन की असली राह पाता है सत्य की राह कठिन हो सकती है लेकिन अंत में वही फलदायी होती है आज भी सच बोलिए, ईमानदारी से चलिए, और जीवन को सार्थक बनाइए।जब नियत स्वार्थ से दूषित हो जाती हैं तब सब से सुंदर कर्म भी कीचड़ बन जाते हैं।जैसी जिस की सोच होती है वैसे ही मन में विचार रखता है कोई पक्षियों के लिये बन्दूक तो कोई उनके लिए पानी रखता है आप का दिन कभी ख़राब नहीं हो सकता यदि आपकी सोच आप के विचार व्यवहार संस्कार अच्छे हो और कभी अच्छा दिन नहीं गुजर सकता यदि आपके सोच विचार व्यवहार संस्कार अच्छे या नेक नहीं है सदा ह्रदय में शुद्धि रखिये।यदि आप किसी को अपने से छोटा या नीच समझते हैं तो आप या तो उसके बारे में उसके व्यक्तित्व के बारे में जानते नहीं हो या तो आपके अंदर घमंड अभिमान आ गया है सरल और सहज बनिये अहंकार और ज्ञान एक दूसरे के विपरीत हैं जितना अधिक ज्ञान होगा उतना कम अहंकार होगा और जितना अधिक अहंकार होगा उतना ही कम ज्ञान होगा।अच्छी सूरत से ज्यादा अच्छा स्वभाव मायने रखता है सूरत तो उम्र के हिसाब से बदल जाएगी पर अच्छा स्वभाव जीवन भर आपका साथ देगा।शरीर मे कोई सुंदरता नही होती सुंदर होते हैं व्यक्ति के कर्म उस के विचार उस की वाणी उसका व्यवहार उस के संस्कार और उसका चरित्र जिसके जीवन मे ये सब है वही व्यक्ति सही मायने में सुंदर है।ईर्ष्या लोभ क्रोध और कठोर वचन इन चार वस्तुओं से हमेशा दूर रहने का नाम है धर्म। सच होने का एक ही उपाय है और वह यह है कि इस जगत में दिखावे की आकांक्षा छोड़ दे सब झूठ उससे ही पैदा होते हैं ऊंची आवाज में तो वो चिल्लाते हैं जिन्हें झूठ बोलना होता है सच तो धीमे स्वर का भी पूरे ब्रह्मांड में गूंजता हैं।जीते समय करोड़ों की बातें करनेवाला चार लोगों के कंधे पर जाते समय एक कौड़ी भी न ले जा सकने का कारण है कि कफन में जेब नहीं होती।जब तक इंसान को अपनों से ठोकरें न मिले इंसान तब तक सबको अच्छा और सच्चा समझता है और जब अपनों से ही ठोकरें मिलती हैं तो होश में आता है।बहुत कुछ सिखाती है जिंदगी लोगों की पहचान कराती है जिंदगी, जो जैसा दिखता है वैसा होता नहीं, हर चेहरे के नक़ाब हटाती है ये ज़िंदगी। जीवन में कभी भी यह मत सोचो कि कौन कब कैसे कहां बदल गया मात्र इतना देखो वह तुम्हें क्या सिखा कर गया यही जीवन का व्याकरण है।बेहतरीन इंसान अपनी मीठी जुबान से ही जाना जाता है,वरना अच्छी बातें तो दीवारों पर भी लिखी होती है। यदि कभी हमारे किसी कर्म से, बात से भूलवश किसी का दिल दुःखी हो तो हमें अपनी गलती का एहसास हो और हम माफ़ी माँग ले और अगर किसी से भूल वश कोई गलती हो जाये तो हम उसे माफ़ भी कर सकें।सुलझा हुआ मनुष्य वह है जो अपने निर्णय स्वयं करता है और उन निर्णयो के परिणाम के लिए किसी दूसरे को दोष नही देता।दुनिया में या तो अच्छे इंसान कहलाना चाहिए या बुरे इंसान परंतु बुराई की आड़ में अच्छे बनकर जिए तो अपनी आत्म साक्षी के प्रति बड़ा धोखा है।ऐसा जीवन जियो कि अगर कोई आप की बुराई भी करे तो कोई उस पर विश्वास ना करे।कल कितना भी मज़बूत क्यूं न रहा हो आज़ की क्रुरता से नहीं लड़ सकता बीता हुआ कल ,खोकर पाना सिखाया आज़ की चतुराई रोकर जीना सिखाया है आज़ कभी कल नहीं बन सकता ।
पालजीभाई राठोड़ ‘प्रेम’ सुरेन्द्रनगर गुजरात