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संस्मरण — बबिता शर्मा

 

एक बार सीमा अपनी मासी की बेटी साधना के साथ अपने ननिहाल में छुटियां बिताने गांव जा रही थी ।शाम का समय हो चला था बस की खिड़कियों से आती हवा बड़ी ही सुहावनी थी ।मै खिड़की के साथ ही बैठी बाहर के नजारे का आनंद ले रही थी ।सड़क के किनारे लगे वृक्ष मानो दौड़ रहे हो और घोड़े टांगे वाले की सवारी के लगती आवाजें एक दूसरे से प्रतियोगिता कर रही थी कि कब मेरे थी कि कब मेरे टांगे की सवारी पूरी हो और वो अपने सफर पर चले । मैं उन्हें बड़े ध्यान से सुन रही थी तभी साधना की आवाज कानो में पड़ी कि बस रेस्ट के लिए रुकी है चलो गन्ने का रस पीते है ।
हम दोनों ने रस पीया और अपनी सीट पर आकर बैठ गए और फिर सफर शुरू हो गया ।खैर हम करीब रात 9बजे ननिहाल जो कि सराय में पड़ता था ।मैने देखा कि मामा जी हमे लेने के लिए वहां पहले से ही तैयार खड़े है ।हम बस से उतरे और पैदल चलते हुए करीब 20मिनट में घर पहुंच गए ।हमने जैसे ही डोरबेल बजाई तभी रीनू और शीनू की आवाज आई कि दीदी आ गई ;दरवाजा खुलते ही वह मुझसे ओर साधना से लिपट गई हमने उन्हें गोद में उठाया और जेब से एक एक चॉकलेट उन्हें निकलकर दे दी वो दोनों खुश हो गए ।
रात में हम सब ने मिलकर खाना खाया जो बहुत ही स्वादिष्ट था मामी के हाथ की चूल्हे पर बनी रोटियां तो बहुत ही लाजवाब थी और उस पर कच्चे आम की चटनी की बात ही मत पूछो उसने तो खाने के मजे को चौगुना कर दिया था।
अगले दिन हम प्रातःकाल बेला में सैर पर निकले तो सभी लोग बड़े उत्साह के साथ हमे देख रहे थे और हम भी उन्हें बड़े उत्साह से देख रहे थे उनकी पोषक बहुत ही सुंदर थी वहां औरतों और लड़कियों ने लहंगा और चोली पहने थे जबकि हम जींस और टॉप में थे। ।
तभी अचानक मेरी नजर वहां खड़े हुए एक लड़के पर पड़ी जो देखने में एक सभ्य फैमिली केके लग रहा था वह भी मेरी ओर बड़े प्यार से देख रहा था ।न जाने उसके देखने में ऐसा क्या जादू था कि उसका चेहरा मेरे दिल में समा गया था ।बाद में पता चला कि वह मामा जी के दोस्त का लड़का है जो कि नेवी में ऑफिसर है और छुट्टियां बिताने अपनी बुआ के घर आया था ।
अब हम भी घर लौट चुके थे ।इन बातों को करीब 1साल बीत चुका था लेकिन मैं उसे भूल नहीं पा रही थी ना उसने मुझसे कुछ कहा और ना। मैं ही उसे कुछ कह पाई थी ।लेकिन वो प्यारा अहसास आज भी मेरे दिल में जीवित है ।

बबिता शर्मा

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